अरुणाचल प्रदेश में मिली बंदर की नई प्रजाति, जानें इसकी विशेषता
मुकेश ठाकुर के अनुसार, ग्रामीणों ने कहा है कि सेला मकाक पश्चिम कामेंग जिले में फसल क्षति का एक प्रमुख कारण है. नई मकाक प्रजाति पर अध्ययन ‘मॉलिक्यूलर फाइलोजेनेटिक्स एंड इवोल्यूशन’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.
कोलकाताः भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) के वैज्ञानिकों ने अरुणाचल प्रदेश में बंदर की एक नई प्रजाति की खोज की है. जेडएसआई की निदेशक धृति बनर्जी ने कहा कि 'सेला मकाक' (मकाका सेलाई) नाम की नई प्रजाति राज्य के पश्चिमी और मध्य भागों में पाई गई. उन्होंने कहा, "वैज्ञानिकों ने कुछ नमूने एकत्र किए और एक विस्तृत फ़ाइलोजेनेटिक विश्लेषण किया. जिसके बाद हमने पाया कि यह बंदर आनुवंशिक रूप से इस क्षेत्र की अन्य प्रजातियों से अलग है."
जेडएसआई की निदेशक धृति बनर्जी का बयान
जेडएसआई की निदेशक ने कहा कि सेला दर्रे की वजह से नई प्रजाति तवांग जिले के अरुणाचल मकाक से अलग रही. वहीं इस संबंध में जेडएसआई के वैज्ञानिक मुकेश ठाकुर ने कहा कि सेला दर्रे ने एक बाधा के रूप में काम किया और लगभग 20 लाख वर्ष तक दो मकाक प्रजातियों के बीच स्थान गमन को रोका.
उन्होंने कहा कि सेला मकाक आनुवंशिक रूप से अरुणाचल मकाक के करीब है और दोनों प्रजातियों में भारी बदन एवं लंबे पृष्ठीय बाल जैसी कई समान शारीरिक विशेषताएं हैं.
वैज्ञानिक मुकेश ठाकुर ने बताई बंदरों की खूबी
मुकेश ठाकुर ने कहा कि हालांकि इस बंदर में कुछ विशिष्ट रूपात्मक विशेषताएं भी हैं. उन्होंने कहा कि दोनों प्रजातियों के कुछ प्राणियों को मानव उपस्थिति की आदत है, जबकि अन्य मानवीय निकटता से बचते हैं.
मुकेश ठाकुर के अनुसार, ग्रामीणों ने कहा है कि सेला मकाक पश्चिम कामेंग जिले में फसल क्षति का एक प्रमुख कारण है. नई मकाक प्रजाति पर अध्ययन ‘मॉलिक्यूलर फाइलोजेनेटिक्स एंड इवोल्यूशन’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.
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