निजी यात्री ट्रेने ही नहीं सरकार निजी मालगाड़ियों के संचालन की भी बना रही है योजना

सरकार माल गाड़ी ट्रेनों की गतिविधियां तेज करना चाहती है ताकि रेलवे की ज्यादा से ज्यादा कमाई हो सके. रेलवे का लक्ष्य अगले पांच सालों में 200 करोड़ टन माल लोड करने का है. इसलिए सरकार इसमें निजी कंपनियों को शामिल करना चाहती है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 6, 2020, 03:20 PM IST
    • निजी मालवाहक ट्रेनों को 2800 किलोमीटर के डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) पर चलाने की प्लानिंग
    • मंत्रालय चाहता है कि इस योजना में टाटा ग्रुप, अडानी ग्रुप, महिंद्रा ग्रुप और मारुति जैसी बड़ी कंपनियां भागीदारी दिखाएं.
निजी यात्री ट्रेने ही नहीं सरकार निजी मालगाड़ियों के संचालन की भी बना रही है योजना

नई दिल्ली: रेलवे में आधारभूत सुविधाओं में बदलाव की तैयारी कर रहे रेल मंत्रालय ने और आगे की सोच रखी है. सरकार का प्लान केवल निजी यात्री ट्रेनों (Private Passenger Train) के संचालन का ही नहीं है,

बल्कि योजना है कि ट्रैक पर निजी माल वाहक गाड़ियां भी दौड़ सकें. इसके लिए मंत्रालय प्लानिंग कर रहा है, ताकि मालगाड़ी ट्रेनों की गतिविधियां तेज हो सकें. 

अगले पांच सालों में 200 करोड़ टन माल लोड का लक्ष्य 
जानकारी के मुताबिक, सरकार माल गाड़ी ट्रेनों की गतिविधियां तेज करना चाहती है ताकि रेलवे की ज्यादा से ज्यादा कमाई हो सके. रेलवे का लक्ष्य अगले पांच सालों में 200 करोड़ टन माल लोड करने का है. इसलिए सरकार इसमें निजी कंपनियों को शामिल करना चाहती है.

उम्मीद की जा रही है कि जैसे ही प्राइवेट ट्रेनें पटरी पर दौड़ना शुरू करेंगी, प्राइवेट मालगाड़ियों के लिए भी सरकार घोषणा कर देगी. अभी निजी यात्री ट्रेनों के संचालन के लिए 2023 तक के समय की बात की जा रही है. 

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर दौड़ेंगी मालगाड़ी
रेल मंत्रालय इसके लिए प्लान कर रहा है कि निजी मालवाहक ट्रेनों को 2800 किलोमीटर के डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) पर चलाया जाएगा. सरकार की ओर से प्राइवेट फ्रेट ट्रेन यानी मालगाड़ियां चलाने के फैसले से डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर बनाने के काम में तेजी आएगी.

इससे निजी क्षेत्र से अच्छा निवेश भी आएगा. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर होने से अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा, क्योंकि तब सामान तेजी से और सस्ती दरों में दूर-दूर भेजा जा सकेगा. 

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प्राइवेट प्लेयर को लुभाने के लिए बना रहे पॉलिसी
जानकारी के मुताबिक प्राइवेट फ्रेट ट्रेनों के लिए तैयार की जा रही नई पॉलिसी में प्राइवेट प्लेयर या निजी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए खास कदम उठाए जा सकते हैं. नई पॉलिसी में स्टील, आयरन ओर, टेक्सटाइल और ऑटो सेक्टर के बड़े दिग्गजों को आकर्षित करने की योजना है.

रेलवे मंत्रालय चाहता है कि इस योजना में टाटा ग्रुप, अडानी ग्रुप, महिंद्रा ग्रुप और मारुति जैसी बड़ी कंपनियां भागीदारी दिखाएं. 

मार्च 2020 तक DFC को पूरा करने का लक्ष्य
रेलवे से सामान भेजना सड़क मार्ग से सामान भेजने की तुलना में बहुत अधिक सस्ता पड़ता है. ऐसे में अगर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में ये कीमतें कुछ बढ़ भी जाती हैं, तो भी वह सड़क मार्ग की तुलना में सस्ता ही रहेगा और कारोबारियों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहेगा.

ऐसे में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को लेकर सरकार तेजी से काम कर रही है. मार्च 2021 तक 11 किमी का डीएफसी ट्रैक तैयार हो जाएगा, जिसपर ट्रेनें दौड़ना शुरू कर देंगी. रेलवे का लक्ष्य है कि मार्च 2022 तक पूरे 2800 किलोमीटर के डीएफसी ट्रैक को तैयार कर शुरू कर दिया जाए.

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