नई दिल्ली: खाद्य और आपूर्ति मंत्रालय देश में 11 हजार मीट्रिक टन प्याज आयात करने का फैसला किया है. ये प्याज तुर्की से मंगाया जाएगा. इसके अलावा मिस्र से भी 6090 मीट्रिक टन प्याज मंगाया जा रहा है.
केन्द्रीय मंत्री ने दी जानकारी
केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने अपने एक ट्वीट में कहा, "उपभोक्ता मामले विभाग ने MMTC को तुर्की से 11 हजार टन प्याज का आयात करने के निर्देश दिए हैं. यह प्याज दिसंबर के आखिर और जनवरी की शुरुआत से मिलने लगेगा. यह 11 हजार टन, इजिप्ट से दिसंबर के मध्य में पहुंच रहे 6090 टन प्याज के अतिरिक्त होगा."
लेकिन 15 दिसंबर तक राहत नहीं
हालांकि सरकार ने प्याज मंगाने के लिए तुर्की और मिस्र को ऑर्डर दे दिया है. लेकिन प्याज की कीमतों में तत्काल राहत मिलती हुई नहीं दिखाई दे रही है. क्योंकि तुर्की और मिस्र से प्याज आते आते 10 दिनों से ज्यादा वक्त लग जाएगा. यानी 15 दिसंबर तक प्याज की बढ़ी हुई कीमतों से राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है.
केन्द्र सरकार ने झाड़ लिया था पल्ला
इससे पहले 27 नवंबर को केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान को प्याज की बढ़ती कीमतों से पल्ला झाड़ते हुए कहा था कि कीमतें कम करना सरकार के हाथ में नहीं है. पासवान ने कहा था कि दुनियाभर में प्याज की कीमतें बढ़ रही है, इसलिए भारत में भी इसका असर दिख रहा है.
देश के कई हिस्सों में प्याज की कीमतें 100 रुपए को पार कर गई हैं. 20 नवंबर को केंद्रीय कैबिनेट ने 1.2 लाख मीट्रिक टन प्याज का आयात करने के आदेश दिया था.
लेकिन प्याज संकट के बढ़ने में खाद्य और आपूर्ति मंत्रालय की अदूरदर्शिता साफ दिखाई देती है क्योंकि प्याज की फसल बर्बाद होने के बावजूद समय रहते प्याज के निर्यात पर रोक नहीं लगाई गई और रबी सीजन में 500 करोड़ रुपये के ऑपरेशन ग्रीन फंड से पर्याप्त मात्रा में प्याज नहीं खरीदा
इस वजह से लगी है प्याज के दामों में आग
इस साल भारी बारिश होने के कारण खेतों में पानी जमा हो गया जिसकी वजह से प्याज सड़ गया. बारिश के कारण प्याज उत्पादक राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में प्याज किसानों की फसल तबाह हो गई.
इसके अलावा बारिश में गीला हो जाने की वजह से खुले में स्टॉक किया हुआ तैयार प्याज भी खराब हो गया. प्याज उत्पादक कुछ अन्य राज्यों में फसल को 75 से 85 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा है. लेकिन सरकार ने इन हालातों को समझने में देर लगाई.