नई दिल्ली. नागरिकता कानून पर विपक्ष केंद्र सरकार को लगातार निशाने पर ले रहा है. विपक्ष का दावा है कि सरकार ने ये एक सांप्रदायिक कानून तैयार किया है जिसे उसे वापस लेना होगा. इस विरोध को लेकर कई राज्यों में प्रदर्शन और हिंसा देखी जा रही है. आज इसी मुद्दे पर विपक्ष अपना एक प्रतिनिधिमंडल लेकर राष्ट्रपति से मुलाकात करने जा रहा है.
विरोध के उद्देश्य को लेकर एकमत है विपक्ष
विपक्ष एकजुट हो कर नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहा है. इसमें उनमें आपसी-दो-मत नहीं हैं. विपक्ष का एकमात्र उद्देश्य इस क़ानून को रोकना या इसमें इतना बदलाव करा देना है कि इसको बनाने वाले कन्फ्यूज़ हो जाएँ कि इसे बनाया क्यों गया था और अब लागू क्यों किया जा रहा है. इस दिशा में एक कोशिश के तौर पर विपक्ष राष्ट्रपति को देश की परिस्थितियों और अपने प्रयोजन से अवगत कराने जा रहा है.
शिवसेना नहीं हुई शामिल
शिवसेना शामिल नहीं हुआ -यह बात हैरत-गंगेज़ तो है लेकिन उतनी भी हैरत-अंगेज़ नहीं. क्योंकि इसका अनुमान पहले से ही था कि विचारधारा पर विरोधी तीन दल साथ कब तक चल सकते हैं. फिर हाल ही में शिवसेना सावरकर वाले मुद्दे पर कांग्रेस के बयानों से खुश नहीं थी.हालांकि पहले माना जा रहा था कि शिवसेना भी इसमें हिस्सा लेगी.
सावरकर पर रोष भी कारण शिवसेना की अनुपस्थिति का
सावरकर पर हुए हालिया बयान-युद्ध की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने कहा था कि मैं सावरकर नहीं हूँ कि माफ़ी मांग लूँ, मेरा नाम राहुल गाँधी है! राहुल के इस बयान से एक महाराष्ट्र की सत्ताधारी शिवसेना बहुत आहत हुई. संजय राउत ने इस के जवाब में राहुल से कहा कि उन्हें पुस्तकें मांगा कर सावरकर के बारे में पढ़ना चाहिए कि वे कौन थे. संजय राउत ने कहा कि उन्हें इस प्रतिनिधि मंडल के बारे में जानकारी नहीं है.
आज शाम होगी राष्ट्रपति से भेंट
तय कार्यक्रम के अनुसार नागरिकता कानून को लेकर आज शाम विपक्षी दल राष्ट्रपति से मिलेगा. दल में शामिल विपक्ष के प्रमुख नेता उन्हें सूरते हाल बताएँगे और अपना नागरिकता क़ानून पर विपक्ष के एकजुट मंच से अपना विरोध दर्ज कराएंगे.