नई दिल्ली: नागरिकता की आड़ में कई नेता झूठ फैलाने का काम कर रहे हैं. सवाल देश की जनता से सवाल ये कि देश में जिसके पास ना आधार कार्ड है, ना वोटर कार्ड, ना ड्राइविंग लाइसेंस, ना राशन कार्ड, ना जन्म प्रमाण पत्र है, ना ही पहचान साबित करने वाला कोई दस्तावेज. तो ऐसे व्यक्ति को अपनी नागरिकता क्यों नहीं सिद्ध करनी चाहिए.
नागरिकता का 'सच' क़बूल तो सियासत क्यों?
लेकिन देश की राजनीति में इस सवाल के खिलाफ ही विपक्ष का सबसे बड़ा भ्रमजाल फैलाया जा रहा है. पहले नागरिकता कानून के खिलाफ देश में भ्रम फैलाया गया और अब नेशनल पॉपुलशेन रजिस्टर को लेकर भ्रमजाल फैलाया जा रहा है. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं इसे समझिए.
नागरिकता पर विपक्ष का 'भ्रमजाल' कैसे टूटेगा?
13 मार्च 2020 को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि "हमारे घर में 6 आदमी है, मेरी पत्नी, मेरे माता पिता, मेरे दोनों बच्चों के पास सर्टिफिकेट नहीं है, जो ये मांग रहे हैं, तो क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री के पूरे परिवार को डिटेंशन सेंटर में भेज दिया जाएगा? 70 लोगों की विधानसभा में 61 लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है साबित करने के लिए कि हम इस देश के नागरिक हैं, केवल 9 लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र है."
इसके जवाब में गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि ये गलत प्रचार कर रहे हैं CAA के बारे में NPR के बारे में गलत प्रचार करना बंद करिए लोगों को मजहब के नाम पर तोड़ने का प्रयास नहीं करना चाहिए.
देशहित के फैसलों पर वोटहित वाली राजनीति क्यों?
बीजेपी नेता विजय गोयल ने कहा कि "केजरीवाल कहते हैं बर्थ सर्टिफिकेट नहीं है, झूठ बोलते हैं. उनके बच्चों के पास है, तो उनके पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है? सरकारी नौकरी में वह बिना बर्थ सर्टिफिकेट के आ गए? झूठ बोलकर लोगों को डर दिखा रहे हैं."
वहीं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि "कांग्रेस पार्टी संसद के अंदर एक्सपोज हो गई, कांग्रेस ने CAA को लेकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की लोगों को डराया, उनके अंदर खौफ पैदा करने की कोशिश की गई. अब कहते है कि हमने(कांग्रेस) कभी नहीं कहा कि CAA किसी की नागरिकता खत्म करने के लिए है."
CAA-NPR पर विपक्ष के इरादे में खोट है?
12 मार्च 2020 को देश के गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि "मैं आज भी कहना चाहता हूं कि देशभर के मुललमान भाईयों बहनों को कि ये गलत अफवाएं फैलाई जा रही है CAA किसी की नागरिकता लेना का कानून है ही नहीं CAA नागरिकता देना का कानून है."
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तो क्या शाहीन बाग़ से सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की साज़िश की जा रही है. और सबसे बड़ा सवाल ये है कि नागरिकता पर 'भड़काने वाली राजनीति' कब तक?
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