Pahalgam attack: कहां से आए थे आतंकी, किस ग्रुप के थे? एक नया आतंकवादी संगठन, जो पसार रहा घाटी में पैर

TRF claims responsibility for Pahalgam attack: पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने मंगलवार दोपहर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम इलाके में पर्यटकों पर हुए क्रूर हमले की जिम्मेदारी ली है.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Apr 22, 2025, 08:22 PM IST
Pahalgam attack: कहां से आए थे आतंकी, किस ग्रुप के थे? एक नया आतंकवादी संगठन, जो पसार रहा घाटी में पैर

Pahalgam attack news: दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित पहलगाम के बैसरन मैदानी इलाकों में पर्यटकों पर हुए क्रूर हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है.

अमरनाथ यात्रा से कुछ ही हफ्ते पहले इस हमले ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है. मंगलवार दोपहर को हुए इस हमले में कम से कम 24 लोगों की मौत हुई है. हालांकि, आधिकारिक पुष्टी नहीं हो सकी है. अमरनाथ यात्रा वह समय होता है जब जम्मू-कश्मीर में आम तौर पर पर्यटकों की आवाजाही बढ़ जाती है. अधिकारियों के मुताबिक, आतंकवादियों ने पहलगाम के एक लोकप्रिय रिसॉर्ट इलाके के पास निहत्थे पर्यटकों को निशाना बनाकर अंधाधुंध गोलीबारी की.

सुरक्षा बलों और पुलिसकर्मियों को तुरंत घटनास्थल पर भेजा गया और एंबुलेंस से घायलों को नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया गया. इलाके को सील कर दिया गया है और अपराधियों को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. आतंकी भाग ना सके, इसलिए सभी बाहर निकलने के रास्तों पर सुरक्षा जांच बढ़ा दी गई है.

पीएम मोदी, अमित शाह ने प्रतिक्रिया दी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को फोन करके नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया. पीएम मोदी ने शाह से व्यक्तिगत रूप से स्थिति का आकलन करने के लिए हमले वाली जगह का दौरा करने को भी कहा. जहां शाह कुछ देर में घाटी पहुंच जाएंगे.

द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) क्या है?
द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) एक नया लेकिन घातक आतंकवादी संगठन है जो अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद उभरा है. माना जाता है कि लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने TRF का गठन किया, जिससे कश्मीर में उग्रवाद को फैलाया जा सके. बताया जाता है कि इसमें स्थानीय लोगों पर फोकस किया जाता है, जिन्हें हमलों के लिए भर्ती किया जाता है. समूह ने अपने गठन के छह महीने के भीतर अपने बैनर तले विभिन्न संगठनों के आतंकवादियों को एकजुट किया.

जनवरी 2023 में भारत के गृह मंत्रालय (MHA) ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत टीआरएफ को एक आतंकवादी संगठन के रूप में नोट किया.

अक्टूबर 2019 में स्थापित इस समूह का नेतृत्व शेख सज्जाद गुल ने सुप्रीम कमांडर के रूप में किया, जिसमें बासित अहमद डार मुख्य परिचालन कमांडर के रूप में काम करता था. TRF का गठन शुरू में हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के कैडरों के साथ किया गया था और इसके गठन के बाद से इसने कश्मीरी हिंदुओं, सरकारी कर्मचारियों, मजदूरों, व्यापारियों, स्थानीय राजनेताओं, पर्यटकों और पुलिसकर्मियों सहित कई तरह के व्यक्तियों को निशाना बनाया है. भारत सरकार ने कहा है कि TRF लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटे के रूप में काम करता है.

TRF ने कश्मीरी पंडितों, सिखों, हिंदुओं और मुसलमानों सहित कई तरह के धार्मिक लोगों को निशाना बनाया है. उसके द्वारा अक्सर आसान लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया.

ऐसा माना जाता है कि TRF को पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी ISI द्वारा तैयार किया गया था, ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लश्कर-ए-तैयबा से ध्यान हटाया जा सके. दरअसल, 2018 में पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की 'ग्रे सूची' में डाल दिया गया था.

हिंसा का इतिहास
TRF ने कश्मीर घाटी में पर्यटकों, अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों और प्रवासी श्रमिकों को लगातार निशाना बनाया है. समूह द्वारा गंदेरबल जिले में एक निर्माण स्थल पर गोलीबारी की गई थी, जिसमें एक कश्मीरी डॉक्टर, कई मजदूर और एक ठेकेदार सहित सात लोगों की मौत हो गई.

TRF से जुड़ी एक और घटना 1 अप्रैल, 2020 को हुई, जब समूह के साथ कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास चार दिनों तक गोलीबारी चली. इस भीषण मुठभेड़ के दौरान, पांच भारतीय पैरा कमांडो शहीद हो गए और पांच आतंकवादी मारे गए.

TRF से जुड़े बड़े आतंकवादियों में साजिद जट्ट, सज्जाद गुल और सलीम रहमानी शामिल हैं. सभी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैं. खुफिया एजेंसियां ​​समूह पर कड़ी निगरानी रख रही हैं, खासकर अमरनाथ यात्रा से पहले बढ़ती चिंताओं के बीच.

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