Indus waters treaty vs Shimla agreement: भारत के सिंधु जल संधि से पीछे हटने के बाद पाकिस्तान शिमला समझौते से पीछे हट सकता है. अगर ऐसा होता है तो यह एक बड़ा घटनाक्रम कहलाएगा. भारत और पाक दोनों परमाणु हथियारों से लैस देश हैं. ऐसे में शिमला समझौका खत्म हुआ तो देशों के बीच कूटनीतिक तनाव और बढ़ सकता है. दरअसल, ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि पाकिस्तान 1972 के ऐतिहासिक शिमला समझौते से पीछे हटने पर विचार कर रहा है.
सिंधु जल संधि (IWT) हमेशा से चर्चा का विषय रही है. पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ दशकों तक सीमा पार आतंकवाद और दोनों देशों के बीच दुश्मनी के लंबे इतिहास को यह संधि झेलती आई है, जहां बुधवार को पहली बार नई दिल्ली द्वारा ये संधि खत्म कर दी गई.
भारत ने यह फैसला पहलगाम में पर्यटकों पर हमले के एक दिन बाद लिया, जिसमें पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 लोगों की जान ले ली थी.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार शाम को कहा, '1960 की सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेगी, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से त्याग नहीं देता.'
शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था. यह एक शांति समझौता था जिसका उद्देश्य 1971 के युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच स्थायी शांति स्थापित करना और संबंधों को सामान्य बनाना था.इस समझौते पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे.
सिंधु जल संधि क्या है?
भारत और पाकिस्तान के बीच नौ साल की बातचीत के बाद 19 सितंबर, 1960 को कराची में IWT पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस संधि में 12 अनुच्छेद और 8 अनुलग्नक (A से H तक) हैं.
संधि के प्रावधानों के अनुसार, सिंधु की 'पूर्वी नदियों', जैसे सतलुज, व्यास और रावी का सारा पानी भारत के अप्रतिबंधित उपयोग के लिए उपलब्ध होगा. पाकिस्तान को 'पश्चिमी नदियों', जैसे सिंधु, झेलम और चिनाब से पानी मिलेगा.
अब भारत के फैसले क्या होगा?
सिंधु जल संधि को निलंबित करने के निर्णय से नई दिल्ली को सिंधु नदी के पानी का उपयोग करने के तरीके के बारे में अधिक विकल्प मिलेंगे.
उदाहरण के लिए, भारत पाकिस्तान के साथ जल प्रवाह डेटा साझा करना तुरंत बंद कर सकता है. सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी के उपयोग के लिए भारत पर कोई डिजाइन या परिचालन प्रतिबंध नहीं होगा. साथ ही भारत अब पश्चिमी नदियों, सिंधु, झेलम और चिनाब की स्टोरेज बना सकता है.
सिंधु जल मामले में पूर्व भारतीय आयुक्त पी के सक्सेना ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'भारत जम्मू और कश्मीर में वर्तमान में निर्माणाधीन दो जलविद्युत परियोजनाओं, झेलम की एक सहायक नदी किशनगंगा पर किशनगंगा HEP और चिनाब पर रैटल HEP पर पाकिस्तानी अधिकारियों के दौरे को भी रोक सकता है.
उन्होंने कहा, 'भारत किशनगंगा परियोजना पर जलाशय फ्लशिंग कर सकता है, जिससे बांध का जीवन बढ़ जाएगा.'
हालांकि, इस रोक से कम से कम कुछ सालों तक पाकिस्तान को जाने वाले पानी के प्रवाह पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा. भारत के पास अभी पाकिस्तान में पानी के प्रवाह को रोकने या इसे अपने इस्तेमाल के लिए मोड़ने के लिए बुनियादी ढांचा नहीं है.
पाकिस्तान ने क्या जवाब दिया?
इसके जवाब में इस्लामाबाद अब शिमला समझौते से हटने की संभावना पर विचार कर रहा है. IDRW की रिपोर्ट में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के अज्ञात सूत्रों के अनुसार, शिमला समझौते से हटने का ये कदम गंभीरता से विचाराधीन है, खासकर तब जब कश्मीर, सीमा पर झड़पों और भारत के पश्चिमी शक्ति के साथ बढ़ते वैश्विक गठबंधन को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है.
पाकिस्तान में आलोचकों का दावा है कि भारत की कार्रवाई दोनों संधियों की भावना का उल्लंघन है, जिससे शांतिपूर्ण बातचीत की नींव कमजोर हो रही है. कुछ पाकिस्तानी विश्लेषकों का तर्क है कि शिमला से हटने से पाकिस्तान को एक बार फिर कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने का मौका मिल जाएगा.
पाक का कहना है कि शिमला समझौते का हवाला भारत लंबे समय से द्विपक्षीय मुद्दों, खासकर जम्मू कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप का विरोध करने के लिए देता रहा है. जिसे हम खत्म कर सकते हैं.
हालांकि, विशेषज्ञ यह भी चेतावनी देते हैं कि इस तरह का कदम पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक रूप से उल्टा पड़ सकता है, क्योंकि भारत द्विपक्षीय ढांचे के अभाव का हवाला देते हुए किसी भी संरचित वार्ता से इनकार कर सकता है.
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