लेखक संघ की ओर से समानान्तर साहित्य उत्सव का आयोजन

राजस्थान प्रगततिशील लेखक संघ की ओर से 21 से 23 फरवरी को जवाहर कला केंद्र के शिल्प ग्राम में आयोजित समानान्तर साहित्य उत्सव (पीएलएफ)  में दिए जाने वाले सम्मान और पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 5, 2020, 07:13 PM IST
    • 21-23 फरवरी जयपुर में समारोह का आयोजन
लेखक संघ की ओर से समानान्तर साहित्य उत्सव का आयोजन

जयपुर: लेखक संघ की रविवार को हुई कोर ग्रुप की बैठक के बाद पीएलएफ के मुख्य संयोजक ईशमधु तलवार ने बताया कि राजस्थान के लोकधर्मी लेखक कन्हैया लाल सेठिया की स्मृति में 25-25 हजार रु के दो पुरस्कार दिए जाएंगे. उनके पुण्यतिथि सम्मान के रूप में सेठिया फाउंडेशन की ओर से हिंदी के लिए कैलाश मनहर और राजस्थानी के लिए भरत ओला को ये पुरस्कार दिए जा रहे हैं. इसी तरह पीएलएफ की ओर से लेखिका एवं समाजसेवी शकुंतला देवी तलवार की स्मृति में शुरू किया गया 21 हजार रु का प्रति वर्ष महिलाओं को दिए जाने वाला शाकुंतलम सम्मान पहली बार युवा लेखिका उमा को प्रदान किया जा रहा है.

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लेखक संघ की ओर से बताया गया कि प्रगतिशील लेखक संघ के पुराधाओं के रूप में जुगमंदिर तायल और विनोद शंकर दवे को सम्मानित किया जाएगा. पीएलएफ के संयोजक प्रेमचंद गांधी ने बताया कि इस बार समानान्तर साहित्य उत्सव राजस्थान के लिए एक तरह से राज्य गीत- "धरती धोरां री" लिखने वाले कन्हैया लाल सेठिया का जन्म शती वर्ष होने की वजह से उन्हें समर्पित रहेगा. आयोजन स्थल का नाम रहेगा -"धरती धोरां री". इसके अलावा प्रगतिशील फिल्म गीतकार कैफी आजमी और मजरूह सुल्तानपुरी का भी यह जन्म शती वर्ष है. इसलिए उनके सम्मान में आयोजन स्थल के दो प्रमुख द्वारों के नाम उनके नाम पर रहेंगे. इसी क्रम में फिल्मों के जन गीतकार शैलेन्द्र पर इंद्रजीत सिंह की एक पुस्तक "तू प्यार का सागर है" का लोकार्पण होगा और उन पर बनाई गई फिल्म "दिल है हिंदुस्तानी" का प्रदर्शन किया जाएगा. जन कवि बल्ली सिंह चीमा के गीतों का भी अलग से एक सत्र समारोह किया जाएगा.

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राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष ऋतुराज ने बताया कि इस बार समानान्तर साहित्य उत्सव में युवाओं की भागीदारी हमारी प्राथमिकता रहेगी. युवाओं के लिए "नवोन्मेष" नाम से एक अलग से मंच रहेगा जिस पर आकर वे कभी भी अपना रचना पाठ कर सकेंगे. ओपन माइक की यह सुविधा तीनों दिन उपलब्ध रहेगी. महात्मा गांधी की जयंती का 150वां वर्ष होने की वजह से उन पर केंद्रित कई महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए जाएंगे. भारत के संविधान पर चर्चा के साथ ही इस पर एक प्रदर्शनी भी की जाएगी. मूल संविधान, जो हस्त लिपि में लिखा गया था उसमें भारतीय सभ्यता का चित्रण प्रदर्शनी का आकर्षण होगा. साहित्य, कला और संस्कृति के साथ ही अनेक राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर विभिन्न सत्रों में चर्चा की जाएगी.

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