नई दिल्ली. एक संसदीय समिति का मानना है कि आर्थिक अपराध के आरोपियों को जघन्य अपराध के आरोपियों की तरह हथकड़ी नहीं लगानी चाहिए. बीजेपी सांसद बृजलाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों से संबंधित स्थायी संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह अनुशंसा की है.
इस कमेटी ने गिरफ्तारी से 15 दिनों के बाद किसी आरोपी को पुलिस हिरासत में रखने के मुद्दे पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में बदलाव की भी सिफारिश की है.कमेटी के मुताबिक प्रस्तावित कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS-2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS-2023) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA-2023) से संबंधित है.
11 अगस्त को पेश किए गए नए विधेयक
बता दें कि 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किए गए ये तीन विधेयक कानून बनने पर भारतीय दंड संहिता, 1860, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लेंगे. संसदीय कमेटी की ताजा रिपोर्ट राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपी गई.
क्या बोली कमेटी
कमेटी के मुताबिक हथकड़ी का उपयोग गंभीर अपराधों के आरोपियों को भागने से रोकने और गिरफ्तारी के दौरान पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चुनिंदा जघन्य अपराधों तक सीमित है. रिपोर्ट कहती है- ऐसा इसलिए है क्योंकि ‘आर्थिक अपराध’ शब्द में अपराधों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है. इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले सभी मामलों में हथकड़ी लगाना उपयुक्त नहीं हो सकता है.
ये भी पढ़ें- UP News: आगरा के होम स्टे में खौफनाक गैंगरेप, Video में बिलखती दिखी युवती, 5 आरोपी गिरफ्तार
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.