नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की मथुरा जिला कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है. इस याचिका में यह मांग की गई है कि कोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) या किसी भी सक्षम अथॉरिटी से आगरा के लाल किले की खुदाई कराए, जहां पर साल 1969 में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को दफना दिया गया था.
याचिका में क्या किया गया है दावा
उत्तर प्रदेश में एक वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने मथुरा की जिला कोर्ट में एक याचिका दायर की है. जिसमें कहा गया है कि कई इतिहासकारों ने अपने लेखों में उल्लेख किया है कि मुगल शासक औरंगजेब मथुरा के केशवदेव जी (कृष्ण जन्मभूमि) मंदिर को ध्वस्त करने के बाद वहां स्थापित कई मूर्तियों को आगरा ले गए थे.
महेंद्र प्रताप सिंह ने कोर्ट में ऐतिहासिक तथ्य रखते हुए कहा कि साल 1618 में मुगल सम्राट जहांगीर के शासनकाल में ओरछा नरेश ने भगवान केशवदेव का एक भव्य मन्दिर बनवाया था.
साल 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने इस मन्दिर को तुड़वा दिया और वहां पर शाही ईदगाह का निर्माण करा दिया. कई सालों बाद महामना मदन मोहन मालवीय ने अपने अथक प्रयासों से कटरा केशवदेव टीले पर भगवान केशवदेव के मंदिर और भागवत भवन का पुनर्निर्माण कराया. लेकिन भगवान कृष्ण की मूर्तियां अभी भी आगरा के किले में दफन हैं.'
महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है, औरंगजेब हिंदू धर्म के लोगों की भावनाओं को आहत करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने आगरा के लाल किले में मौजूद छोटी मस्जिद के नीचे भगवान कृष्ण की मूतियों को दफना दिया था.
इस सूचना के आधार पर ही कोर्ट में आगरा के लाल किले में खुदाई की मांग की गई है. इस मामले पर 19 अप्रैल को कोर्ट में सुनवाई होगी.
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इससे पहले भी दायर हुई हैं याचिकाएं
कृष्ण जन्मभूमि मामले में आगरा के लाल किले में खुदाई की मांग करने वाले वकील महेंद्र प्रताप सिंह पहले भी कृष्ण जन्मभूमि मामले में कई याचिकाएं दायर कर चुके हैं.
इन याचिकाओं में यह मांग की गई है कि कृष्ण भगवान की मूर्तियों को यथास्थान रखा जाए. उन्होंने विवादित मस्जिद की जांच कराने की मांग भी कोर्ट के सामने राखी है.
एक अन्य याचिका में महेंद्र प्रताप सिंह ने मस्जिद की प्रबंधन समिति को खारिज करने की मांग भी कोर्ट के सामने रखी थी.
कृष्ण जन्मभूमि मामले में मथुरा की अदालतों में कुल 7 मुकदमे लंबित हैं, जिनमें से 6 सिविल कोर्ट में चल रहे हैं, जबकि 1 मुकदमा जिला कोर्ट में चल रहा है.
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