बुद्ध पूर्णिमा पर PM मोदी का 'विश्व को संदेश'! पढ़ें, 11 बड़ी बातें

बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को संबोधित किया, आपको पीएम की 11 बड़ी बातों से रूबरू करवाते हैं...

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 7, 2020, 10:29 AM IST
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    • प्रधानमंत्री देंगे कोरोना पर विजय का 'मंत्र'
    • बुद्ध पूर्णिमा के अवरस पर पीएम का विश्व को संदेश
बुद्ध पूर्णिमा पर PM मोदी का 'विश्व को संदेश'! पढ़ें, 11 बड़ी बातें

नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर वीडियो कांफ्रेंसिंग से समारोह को संबोधित किया. कोरोना योद्धाओं के सम्मान में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में पीएम मोदी किन-किन बड़े मुद्दों पर प्रमुखता से संदेश दिया आपको बताते हैं.

बुद्ध पूर्णिमा प्रधानमंत्री के संबोधन की 11 बड़ी बातें

1). "आप सभी को और विश्वभर में फैले भगवान बुद्ध के अनुयायियों को बुद्ध पूर्णिमा की और बैसाख उत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे पहले ही इस पवित्र दिन पर आपसे मिलने, आपसभी से आशीर्वाद लेने का अवसर मिलता रहा है."

2). "2015 और 2018 में दिल्ली में और साल 2017 में कोलंबों में मुझे इस कार्यक्रम से जुड़ने का, आपके बीच आने का मौका मिला. इस बार परिस्थितियां कुछ अलग हैं, इसलिए आमने-सामने आकर आपसे मुलाकात नहीं हो पा रही है."

3). "भगवान बुद्ध का वचन है- 'मनो पुब्बम् गम: थम्म:। मनो सेट्टा, मनो मया' यानी धम्म मन से ही होता है, मन ही प्रधान है। सारी प्रवृत्तियों का अगवा है"

4). "लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर के अलावा श्रीलंका के श्री अनुराधापुर स्तूप और वास्कडुवा मंदिर में हो रहे समारोहों का इस तरह एकीकरण बहुत ही सुंदर है. हर जगह हो रहे पूजा कार्यक्रमों का ऑनलाइन प्रसारण होना अपने आप में अद्भुत अनुभव है"

5). "आपने इस समारोह को कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला कर रहे पूरी दुनिया के हेल्थ वर्कर्स और दूसरे सेवा-कर्मियों के लिए प्रार्थना सप्ताह के रुप में मनाने का संकल्प लिया है. करुणा से भरी आपकी इस पहल के लिए मैं आपकी सराहना करता हूं."

6). "प्रत्येक जीवन की मुश्किल को दूर करने के संदेश और संकल्प ने भारत की सभ्यता को, संस्कृति को हमेशा दिशा दिखाई है. भगवान बुद्ध ने भारत की इस संस्कृति को और समृद्ध किया है. वो अपना दीपक स्वयं बनें और अपनी जीवन यात्रा से दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित कर दिया."

7). बुद्ध किसी एक परिस्थिति तक सीमित नहीं हैं, किसी एक प्रसंग तक सीमित नहीं हैं. सिद्धार्थ के जन्म, सिद्धार्थ के गौतम होने से पहले और उसके बाद इतनी शताब्दियों में समय का चक्र अनेक स्थितियों परिस्थितियों को समेटते हुए निरंतर चल रहा है.

8). "बुद्ध, त्याग और तपस्या की सीमा है. बुद्ध, सेवा और समर्पण का पर्याय है. बुद्ध, मज़बूत इच्छाशक्ति से सामाजिक परिवर्तन की पराकाष्ठा है."

"ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है. कई बार दुःख-निराशा-हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है. तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती"

9). "भगवान बुद्ध कहते थे कि मानव को निरंतर ये प्रयास करना चाहिए कि वो कठिन स्थितियों पर विजय प्राप्त करे उनसे बाहर निकले. थक कर रुक जाना कोई विकल्प नहीं होता. आज हम सब भी एक कठिन परिस्थिति से निकलने के लिए, निरंतर जुटे हुए हैं, साथ मिलकर काम कर रहे हैं."

10). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि,

भगवान बुद्ध के बताए चार सत्य-

1- दया 
2- करुणा 
3- सुख-दुख के प्रति समभाव 
4- जो जैसा है उसको उसी रूप में स्वीकारना

"ये सत्य निरंतर भारत भूमि की प्रेरणा बने हुए हैं."

11). "बुद्ध भारत के बोध और भारत के आत्मबोध, दोनों का प्रतीक हैं. इसी आत्मबोध के साथ, भारत निरंतर पूरी मानवता के लिए, पूरे विश्व के हित में काम कर रहा है और करता रहेगा. भारत की प्रगति, हमेशा, विश्व की प्रगति में सहायक होगी."

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