नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था को संभालने का जिम्मा अब खुद पीएम मोदी ने अपने हाथों में लेने का फैसला किया है. इसके लिए 21 दिसंबर और 4 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में ग्रुप सेक्रेटरीज की अहम बैठक होने वाली है.
सभी कैबिनेट मंत्री रहेंगे शामिल
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि 21 दिसंबर को होने वाली बैठक में सभी कैबिनेट मंत्री और कौंसिल ऑफ मिनिस्टर्स भी मौजूद रहेंगे. ऐसे समय में जब देश की आर्थिक प्रगति सुस्त पड़ने की खबरें आ रही हैं और निवेश में भी कमी दिखाई दे रही है, पीएम मोदी की तमाम सेक्टर्स को लेकर 21 दिसंबर को होने वाली समीक्षा बैठक बेहद अहम मानी जा रही है.
बारीक लक्ष्य तय किए जाएंगे
सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी और कैबिनेट सचिव के सामने ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज हर एक सेक्टर के लिए विशेष प्रेजेंटेशन देंगे साथ ही अगले 5 सालों का रोड मैप भी तैयार करेंगे. इंफ्रा सेक्टर में कमज़ोर निजी निवेश पर प्रधानमंत्री कार्यालय पहले से ही अपनी नाराज़गी जाहिर कर चुका है.
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि इंफ्रा सेक्टर की सुस्त ग्रोथ पर पीएम मोदी ने भी भी गंभीर चिंता जाहिर की है.
निवेश और ग्रोथ बढ़ाने के लिए बैठक
21 दिसंबर को होने वाली बैठक में इंफ्रा सेक्टर में निवेश बढ़ाने और ग्रोथ को ट्रैक पर लाने पर विशेश चर्चा होगी. पीएम मोदी की अध्यक्षता में 21 दिसंबर की बैठक में प्रधानमंत्री कार्यालय का मेन फोकस इंफ्रा सेक्टर पर निवेश पर रहने वाला है.
इस बैठक से पहले ही इंफ्रा सेक्टर से जुड़े सभी मंत्री जैसे सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, भारी उद्योग मंत्री प्रकाश जावड़ेकर(अतिरिक्त प्रभार), वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को निवेश बढ़ाने के लिेए रोड मैप तैयार करने के लिए पहले से ही कहा जा चुका है.
खबर है कि इस बैठक में मंत्रियों के साथ ही सभी इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित सभी मंत्रालयों के सचिव, उच्च अधिकारी और नीति आयोग के अधिकारी भी शामिल होंगे.
ये है सरकार का उद्देश्य
सरकार इंफ्रा सेक्टर में निजी निवेश को बढ़ावा देना चाहती है. सरकार का ये मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में ग्रोथ के रोजगार बढ़ेगा और साथ कि देश की इकोनॉमी में प्रगति होगी. सरकार ने अगले 5 साल में इंफ्रा सेक्टर में 100 लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा है. सरकार चाहती है कि बंदरगाह, सड़क और हाईवे, रेलवे, एयरपोर्ट या एविएशन विस्तार में निवेश बढ़ाया जाए.
पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही 10 ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज़ का गठन किया था. इसका उद्देश्य कुछ खास सेक्टरों में विकास के रास्ते में आ रही परेशानियों को दूर करना था.