मुलाकात हुई, क्या बात हुई? दो महाबलियों के मिलाप की 10 बड़ी बातें...

एशिया के दो महाबली गर्मजोशी से गले मिले. हाथ मिलाया दो बेहद प्राचीन सभ्यताओं ने और पुरातन सभ्यताओं का नया दौर शुरु हुआ. इंडो चाइना दोस्ती की नई इबारत लिखने का सिलसिला शुरु हुआ. प्राचीन मामल्लपुरम शहर में पुराने विवाद भुलाने की कोशिशें शुरु हुईं.

Last Updated : Oct 11, 2019, 08:44 PM IST
    • नरेन्द्र मोदी दक्षिण भारत के पारम्परिक परिधान में पलक पांवड़े बिछाए मित्र का इंतजार कर रहे थे
    • छठी शताब्दी से शुरु हुआ भारत और चीन का ये सम्बन्ध 14वीं शताब्दी तक जारी रहा
मुलाकात हुई, क्या बात हुई? दो महाबलियों के मिलाप की 10 बड़ी बातें...

नई दिल्ली: नरेन्द्र मोदी दक्षिण भारत के पारम्परिक परिधान में पलक पांवड़े बिछाए मित्र का इंतजार कर रहे थे. जिनपिंग की कार जैसे ही रुकी. मोदी ने कदम आगे बढ़ाए और दोनों दोस्तों ने पकड़ लिया एक दूसरे का हाथ. हाथ हिलते रहे और बात होती रही. कुशल मंगल पूछने से शुरु हुई बातचीत संस्कृतियों तक पहुंची. और फिर दोनों अर्जुन की तपोस्थली को देखने लगे. सातवीं शताब्दी की नक्काशी, वास्तुकला और भव्य स्तूपों को देखकर जिनपिंग की उत्सुकता जाग उठी.

1). दोनों नेता इमारतों पर उकेरी गई नक्काशियों को देखते रहे. साथ में हिन्दी और चीनी गाइड भी थे जो दोनों नेताओं को पल्लव काल और अर्जुन की तपोस्थली से जुड़ी दंतकथाएं और इतिहास समझाते रहे. कोरोमंडल के तट पर बसे महाबलीपुरम में दोनों नेता इस तरह नजर आए मानो बरसों बाद दो दोस्त मिले हों. और दोनों के बीच बातचीत भी होती रही. बात होती रही शहर की भव्यता की. बात होती रही दोनों देशों की विरासतों की और हर पल के साथ मजबूत होते रहे पारस्परिक सम्बन्ध. और फिर एक साथ ऊपर उठे दोनों हाथ. दुनिया को ये बताने के लिए कि एशिया की दो महाशक्तियां एक हो रही हैं.

2). टहलते हुए दोनों नेता पल्लव काल के पांडव रथों को निहारने भी पहुंचे. महाभारत काल की दंतकथाओं से जुड़े पल्लव रथों की कलाकृति और प्राचीन काल की नक्काशी को देखकर जिनपिंग हैरान थे. भारत की भव्यता को देखकर हैरान थे और मोदी उन्हें सादगी से समझा रहे थे, हर रथ का तात्पर्य बता रहे थे. धर्मराज युधिष्ठिर, महाबली भीम, धर्नुधर अर्जुन, नकुल-सहदेव और पांचाली यानि द्रौपदी के बारे में बता रहे थे.

3). मंदिरनुमा भव्य आकृतियां, बेहद सुन्दर, बेहद सटीक तरीके से पत्थरों को काटकर बनाई गई नक्काशी, देवी देवताओं की मूर्तियां और उन पर चीनी भाषा में कुछ संदेश लिखे. महाबलियों की मुलाकात के लिए महाबलीपुरम को चुने जाने के पीछे भी प्राचीन जड़ें हैं. पल्लव राजा नरसिंहवर्मन के नाम पर बसाया गया था शहर मामल्लपुरम और इस शहर की भव्यता को देखने छठी शताब्दी में बौद्ध भिक्षु ह्वेन सांग पहुंचा था. बौद्ध भिक्षु के कथन के आधार पर महाबलीपुरम की इमारतों पर चीनी भाषा में भी कलाकृतियां उकेरी गई थीं.

4). छठी शताब्दी से शुरु हुआ भारत और चीन का ये सम्बन्ध 14वीं शताब्दी तक जारी रहा. पल्लव राजा और चीन के सम्राट युद्धों में भी एक दूसरे की मदद करते रहे और अब उसी सदियों पुराने इतिहास की नींव पर मोदी और जिनपिंग ने नूतन रिश्तों की नींव रखी है. जिनपिंग खुद भी छठी शताब्दी से शुरु हुए सम्बन्धों को देखने की इच्छा जता चुके थे इसलिए महाबलीपुरम में दोनों शीर्ष नेताओं का मिलना तय हुआ. दोनों नेताओं ने पल्लव काल की अद्भुत इमारतों को देखा और फिर वहीं बैठकर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध पेय नारियल पानी का स्वाद चखा. पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच इस शांत और दोस्ताना माहौल में शांति की बात भी होती रही.

5). श्वेत पोषाक में जिनपिंग की अगुवानी कर रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शांति का संदेश दे रहे थे और सफेद शर्ट पहने जिनपिंग भी यही दर्शा रहे थे कि साथ मिलकर चलेंगे तो दुनिया कदमों में होगी. दोनों नेता व्यापारिक सम्बन्ध बढ़ाने पर बेहद गहन मंथन कर रहे थे. आतंकवाद जैसी समस्याओं से निपटने पर चिंतन कर रहे थे और रक्षा के क्षेत्र में भी एक दूसरे का सहयोग करने पर बात हुई. सीमा पर शांति कायम रखने पर चर्चा हुई.

6). कुछ देर के विश्राम और दोस्ताना बातचीत के बाद दोनों नेता उठे और चल पड़े टेम्पल ऑफ द शोर देखने के लिए. नीले समुद्र के तट पर बने इस मंदिर से दोनों नेताओं ने सूर्यास्त देखा. समुद्र की शांत लहरों अस्त होते सूर्य के दर्शन किए और दुनिया को बताया कि अस्त होता ये सूर्य एशिया में एक नई साझेदारी के उदय का प्रतीक है.

7). दुनिया के दो महान नेता साथ साथ बैठे थे. भारत की परम्परा और संस्कृति को दर्शाता कार्यक्रम देखते रहे. भारत के प्राचीन इतिहास से जुड़े कथक्कली और भरतनाट्यम नृत्यों का लुत्फ उठाते रहे.

8). होटल ताज की तरफ, जहां पीएम मोदी ने जिनपिंग के लिए डिनर आयोजित किया था. इस रसोई में आज सुबह से ही चहल पहल थी. खास मेहमान पहुंच रहे थे इसलिए खास व्यंजन तैयार किए जा रहे थे. दक्षिण भारत के पकवान बनाए जा रहे थे.

9). डिनर में जिनपिंग के लिए थक्काली रसम बनाया गया था. खास सब्जियों से अर्चावित्ता सांभर तैयार किया गया था. नारियल और काले चने से कडालाई कुरुमा पकाया गया था. चावल की इडली बनाई गई थी. चावल से ही इडियापम्म और डोसा बनाया गया था. और जिनपिंग के लिए दक्षिण भारतीय मसालों से चेट्टीनाड चिकन तैयार किया गया था. भारत और चीन के रिश्तों में मिठास घोलने के लिए सूजी से कवनारसी हलवा बनाकर जिनपिंग को परोसा गया था.

10). दोनों देशों की तरफ से राष्ट्रप्रमुखों के अलावा 8-8 लोग शामिल हुए. मोदी और जिनपिंग अलग टेबल पर बैठे और आतंकवाद से निपटने के उपायों के साथ ही व्यापारिक सम्बन्ध बढ़ाने जैसे कई अहम मसलों पर बात करते रहे.

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