नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार से दो दिवसीय सउदी अरब दौरे पर हैं. पीएम सउदी अरब के रियाद में आयोजित तीसरे Future Investment Initiative फोरम में शिरकत करने पहुंचे हैं. दरअसल, सउदी अरब के राजा सलमान बिन अब्दुलाजीज-अल-सउद के बुलावे पर प्रधानमंत्री मोदी वहां पहुंचे हैं. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी सउदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे जिसमें दोनों देशों के बीच ऊर्जा, निवेश और तकनीक को लेकर कई अहम समझौते हो सकते हैं.
क्या है FII फोरम के वैश्विक मायने ?
सउदी अरब के रियाद में 2017 के बाद से हर वर्ष FII फोरम का आयोजन किया जाता है जिसे "दावोस इन द डेजर्ट" के नाम से भी जानते हैं. इस फोरम में दुनिया की बहुप्रतिष्ठित कंपनियां, बड़े व्यापारी और विभिन्न देशों के प्रतिनिधि पधारते हैं और सउदी में निवेश के नए-नए आयामों पर चर्चा करते हैं. साल 2018 में आयोजित इस फोरम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पहुंचे थे जबकि इस साल भारत के प्रधानमंत्री मोदी इस फोरम में चीफ गेस्ट होंगे.
PM Modi to Arab News: Within G20, India & Saudi Arabia have been working together to reduce inequality & promote sustainable development. I'm happy to note that Saudi Arabia will be hosting G20 Summit next year & India will host it in 2022, our 75th anniversary of independence. pic.twitter.com/GHSwx8QoJS
— ANI (@ANI) October 29, 2019
'दिल्ली डिक्लेरेशन' से हुई रिश्तों की असल शुरूआत
मिडिल ईस्ट के साथ भारत के संबंध शीत युद्ध के बाद से लगातार सुधरे हैं. खासकर सउदी के साथ. सउदी में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत के साथ सामरिक रिश्तों में तेजी आई है. 2006 में सउदी प्रिंस भारत में गणतंत्र दिवस के मौके पर चीफ गेस्ट बन कर आए जिसके बाद तत्कालीन मनमोहन सरकार के साथ "दिल्ली डिक्लेरेशन" के समझौते को हरी झंडी दिखाई गई. इस समझौते के तहत भारत-सउदी के बीच कृषि अनुसंधान, आईटी, बायो-तकनीक, टूरिज्म, ऊर्जा, स्वास्थ्य और व्यापार और कॉमर्स के क्षेत्र में कई एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए.
'रियाद डिक्लेरेशन' से सामरिक रिश्तों को मिला नया रूप
इसके बाद बारी थी भारत की. भारत की ओर से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 2010 में रियाद दौरे पर थे, जहां उन्होंने सउदी प्रिंस के साथ "रियाद डिक्लेरेशन" समझौते पर हस्ताक्षर कर दोनों देशों के बीच बहुआयामी क्षेत्रों में रिश्तों को और प्रगाढ़ रूप दिया. अब वो समय था जब भारत-सउदी एक सामरिक साझीदार बन चुके थे. अब भारत-सउदी के बीच स्पेस तकनीक, आईटी, हाइड्रोकार्बन और तेल उद्योगों के बढ़ावे के क्षेत्र में और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सामरिक रिश्ते नए रूप लेने शुरू हो गए थे.
मोदी सरकार में मिला संबंधों को एक नया आयाम
सउदी अरब के साथ हाल के दिनों में रिश्ते अपनी मजबूत स्थिति में हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में सउदी में अपनी पहली यात्रा की. इस दौरान उन्हें सउदी के "उच्चतम नागरिक सम्मान किंग अब्दुल अजीज" से सम्मानित किया गया. इसके अलावा भारत ने ऊर्जा के क्षेत्र में और तेल के उत्पादन को लेकर कई अहम समझौते पर न सिर्फ सहमति बनी बल्कि रेलवे और शिपिंग के क्षेत्र में सउदी ने भारत में निवेश के अहम रास्ते खोले. इस दौरान पीएम मोदी सउदी में रह रहे भारतीय अप्रवासियों को भी संबोधित करते नजर आए. मालूम हो कि भारतीय अप्रवासियों के आय और निवेश का भारत की जीडीपी में एक बहुत बड़ा योगदान है. इसके अलावा भारत ने सउदी से पाकिस्तान को अलग-थलग करने में भी काफी सफलता हासिल की है. सउदी ने न सिर्फ द्विपक्षीय स्तर पर बल्कि संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठन में भी भारत के पक्ष में खड़ा नजर आया है.
Riyadh: Prime Minister Narendra Modi arrives at King Saud Palace. The Prime Minister is on a two-day visit to Saudi Arabia. pic.twitter.com/VzMNtK18Bq
— ANI (@ANI) October 28, 2019
पाकिस्तान से खत्म हो रही नजदीकी
बता दें कि भारत-सउदी के बीच औपचारिक बातचीत का रिश्ता 1948 से शुरू हो गया था लेकिन शीत युद्ध के दौरान सउदी का झुकाव पाकिस्तान की तरफ ही ज्यादा रहा. 1965 और 1971 के युद्धों में तो सउदी ने बकायदा पाकिस्तान की मदद भी की. लेकिन शीत युद्ध के बाद स्थितियां बदलीं. भारत 90 के दशक में सउदी के करीब जाने लगा. भारत में मुस्लिम की संख्या बहुतायत है. मुस्लिम समुदाय का धार्मिक स्थल मक्का और मदीना सउदी में ही है. भारत सरकार ने हजयात्रियों के लिए हर साल कुछ विशेष पैकेज की व्यवस्था कर इस रिश्ते को और भी गाढ़ा करने की दिशा मे कदम उठाया है. इसको लेकर भारत सरकार की कई योजनाएं और सब्सिडी ने भी संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में कैटेलिस्ट की भूमिका निभाई.
सउदी कंपनियां कर रहीं भारत मे बड़ा निवेश
भारत-सउदी के सामरिक रिश्ते कितने बेहतर हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत इराक के बाद सउदी अरब से सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है. भारत-सउदी के व्यापारिक संबंध 2017-18 में 27 बिलियन डॉलर तक पहुंच गए थे. इसके अलावा भारत-सउदी के बीच कई अहम प्रोजेक्ट्स पर भी सहमति बनी है. महाराष्ट्र के रत्नागिरी में पेट्रोकेमिकल रिफाइनरी बनाने के लिए सउदी अरामाको की तेल खाद्यान्न कंपनी अबु धाबी नेशनल ऑयल कंपनी ने 44 बिलियन डॉलर के ज्वांइट वेंचर पर समझौता किया है. यहीं नहीं भारत में ऊर्जा क्षेत्र में भी सउदी सरकार 100 बिलियन डॉलर के निवेश को लेकर उत्साहित है.
Prime Minister Narendra Modi arrives at King Khalid International Airport, he is on a two-day visit to Saudi Arabia. pic.twitter.com/8qSnjJsoRF
— ANI (@ANI) October 28, 2019
प्रधानमंत्री मोदी के इस यात्रा में दोनों देशों के बीच किन अहम मुद्दों को लेकर समझौते होते हैं, ये इस फोरम के बाद पता चल जाएगा.