आतंक की राह पर निकले दो युवकों को पुलिस ने बचाया

एकबार फिर से घाटी के दो युवकों को आतंकी बनने की राह पर जाने से पहले रोक लिया गया. दक्षिणी कश्मीर के दो युवाओं को नियंत्रण रेखा लांघने से पहले ही सेना के जवानों ने उन्हें गिरफ्तार कर, उनके परिवार को सौंप दिया. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 2, 2020, 01:13 PM IST
    • पुलवामा की एक दुकानदार से जम्मू कश्मीर का नक्शा खरीदा
    • आतंकी बनने के लिए खुद से हुए प्रेरित
आतंक की राह पर निकले दो युवकों को पुलिस ने बचाया

श्रीनगर: पुलिस द्वारा दक्षिणी कश्मीर के दो युवाओं को आतंकवाद में शामिल होने से पूर्व गिरफ्तार कर इनके मुस्तकबिल को बिगड़ने से बचाया गया. पर सीमापार करने से पहले ही उन्हें रोक लिया गया और उनके परिजनों के हवाले कर दिया गया. पुलिस की इस कारकर्दगी को परिजनों सहित सभी लोगों ने सराहा है. पुलिस अधिकारीयों ने परिजनों से अपील की है कि अपने बच्चों पर सही तरह से ध्यान दें ताकि वह ताकि वह गलत रास्तों पर जाने से बच सकें.

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पिता की डांट के बाद आतंकी बनने घर से निकला था युवक
उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले के एसएसपी अब्दुल कयूम ने शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पुलिस और सेना द्वारा दक्षिणी कश्मीर के दो युवाओं को उस समय इंटर्सेप्ट किया गया, जब वो पाकिस्तान जाने के मंसूबे से अपने घर से निकले थे. उन्होंने कहा कि इन दोनों की शिनाख्त शोपियां के नदीम अहमद और नयीना बटपुरा पुलवामा के शाकिर के तौर पर हुई है और दोनों 11वीं के छात्र हैं. कयूम ने बताया कि इनसे पूछताछ के दौरान पता चला कि शाकिर इसलिए घर से निकला था क्यूंकि उसके पिता ने उसे डांटा था जबकि दूसरा इसलिए प्रभावित हुआ क्यूंकि उसका एक पड़ोसी भी आतंकी बना था.

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पुलिस ने किया सराहनीय कार्य
मिली जानकारी के अनुसार दोनों घर से निकले और पुलवामा से उन्होंने एक दुकानदार से जम्मू कश्मीर का नक्शा खरीदा जिसपर उन्होंने देखा कि बारामुला के साथ ही मुजफ्फरबाद का इलाका है. इसके बाद यह इस इरादे के साथ निकले कि वह पाकिस्तान जाएंगे और वहां जाकर आतंकी ट्रेनिंग हासिल करेंगे. दोनों दक्षिणी कश्मीर से ट्रेन से निकले और बारामुला स्टेशन पर पहुंच और वहां पहुंचने पर इनके सामने एक पहाड़ी थी जिसे देख इन्हें लगा कि इसके पार पाकिस्तान है. दोनों ने स्थानीय लोगों से पूछताछ कि और उस पार जाने की तैयारी कर ली. जिसे दौरान पुलिस को उनकी जानकारी मिली और उसके बाद दोनों का पता कर उन तक पहुंचे. यह ऐसी चौथी घटना है जब वहां के बच्चे बिना सोचे समझे खुद ही आतंकी बनने के लिए घरों से रवाना हुए हैं. लेकिन सरहद पार जाना इतना आसान नहीं, भारी संख्या में फौज तैनात रहती है. 

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