नई दिल्ली: ज्ञानवापी विवाद को लेकर एक तरफ वाराणसी से दिल्ली तक अदालत में कानूनी लड़ाई चल रही है, तो वहीं सियासत भी तेज है. हिंदू संगठन मुस्लिम पक्षकारों पर अटकाने और लटकाने का आरोप लगा रहे हैं तो कई इस्लामिक स्कॉलर बढ़ते ज्ञानवापी विवाद की वजह 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को बता रहे हैं.
मुस्लिम पक्ष पर लगाया ये नया आरोप
हर कोई सियासी दांव-पेंच के जरिये खुद को सही साबित करने की होड़ में जुटा है और इस होड़ में वो अदालत के फैसले को भी कटघरे में खड़ा करने से बाज नहीं आ रहा है. इस मामले में सबसे आगे AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी दिख रहे हैं. ज्ञानवापी में सर्वे कराने के कोर्ट के फैसले पर सवाल उठा चुके ओवैसी अब आरोप लगा रहे हैं कि कोर्ट ने एक पक्ष को सुना ही नहीं.
ओवैसी ने कहा है कि आपका और मेरा झगड़ा है, कोर्ट का काम है कि दोनों को सुने, लेकिन कोर्ट ने एक पक्ष को सुना नहीं. वजू करना RELIGIOUS OBSERVANCE में आता है, जो लोअर कोर्ट का ऑर्डर है वो ILLEGAL है.
वहीं विश्व हिंदू परिषद से जुड़े लोगों का आरोप है कि मुस्लिम पक्षकार अटकाने, लटकाने और भटकाने का काम कर रहे हैं. VHP के सुरेन्द्र जैन ने कहा है कि मुस्लिम पक्षकार इस मसले को ज्यादा लटकाने भटकाने का काम नही करें. देश के मुस्लिम एक जुट होकर कहें कि वो औरगजेंब और गजनी के साथ नहीं देश के साथ हैं.
कई इस्लामी विद्वानों ने बताया चुनावी मामला
कई इस्लामिक स्कॉलर तो ज्ञानवापी विवाद की वजह 2024 में होने वाले आम चुनाव को बता रहे हैं. मौलाना साजिद रशीदी ने कहा है कि हिंदु समाज ने भ्रम फैलाया कि बाबा मिल गये. मुसलमानों को डराने धमकाने का काम किया है. 2024 चुनाव को लेकर ये किया जा रहा है.
विरोध प्रदर्शन का दौर भी जारी है. महाराष्ट्र के मालेगांव में मुस्लिम पक्ष के लोगों ने ज्ञानवापी मस्जिद के समर्थन में प्रदर्शन किया.
औवैसी ने क्या-क्या आरोप लगाए?
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय ज्ञानवापी मामले पर अगली सुनवाई के दौरान निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाएगा और ‘पूर्ण न्याय’ करेगा.
ओवैसी ने कहा कि जब वाराणसी की अदालत ने नमाजियों की संख्या 20 तक सीमित करने और ‘शिवलिंग पाए जाने’ के स्थान की सुरक्षा का आदेश दिया, तो उनकी राय में उस समय ‘गंभीर प्रक्रियात्मक अन्याय हुआ.’
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने नमाजियों को ज्ञानवापी मस्जिद में जाकर इबादत करने की इजाजत दी है. इससे पहले निचली अदालत के आदेश ने इसे 20 लोगों तक सीमित कर दिया था. इसलिए हमें उम्मीद है कि सुनवाई की अगली तारीख पर सुप्रीम कोर्ट पूर्ण न्याय करेगा.’
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वाराणसी के जिलाधिकारी को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के अंदर उस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जहां सर्वेक्षण के दौरान शिवलिंग मिलने की बात कही गई है. साथ ही, शीर्ष न्यायालय ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को वहां नमाज अदा करने और धार्मिक रस्म निभाने की अनुमति दे दी.
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ?
ज्ञानवापी मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में भी अहम सुनवाई हुई. वाराणसी सिविल कोर्ट में चल रही सुनवाई के खिलाफ़ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जिस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई की.
मुस्लिम पक्ष ने कहा परिसर को सील किए जाने पर सवाल उठाए और लोअर कोर्ट के सभी फैसलों पर रोक लगाने का आदेश देने की मांग की. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया.
हालांकि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिसर में जिस जगह पर कथित रूप से शिवलिंग मिला है, उस जगह को सुरक्षित रखा जाए. लेकिन, अदालत ने यह भी आदेश दिया कि इसकी वजह से वहा लोगों को नमाज अदा करने से न रोका जाए.
जवाब में यूपी सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वुज़ूख़ाने में शिवलिंग मिला है, जो हाथ-पैर धोने की जगह है. नमाज की जगह अलग होती है. उन्होंने आगे कहा कि अगर नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई तो शिवलिंग को नुकसान पहुंच सकता है. जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है.
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