₹7,350 करोड़ का 'गुप्त' मिशन, चीन के 'चुंबकीय चक्रव्यूह' को तोड़ेगा भारत; लगाए जाएंगे 5 बड़े प्लांट

India Magnet Scheme: भारत सरकार बहुत जल्द ही 7,350 करोड़ रुपए की योजना शुरू करने जा रही है. इसमें Rare Earth Permanent Magnets का प्रोडक्शन बढ़ाया जा सके. इससे चीन पर निर्भरता कम हो सकती है. ये मैग्नेट इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, रक्षा और पवन ऊर्जा जैसे अहम क्षेत्रों में काम आने वाले हैं.

Written by - ritesh jaiswal | Last Updated : Oct 13, 2025, 08:35 PM IST
  • भारत शुरू करेगा 7,350 करोड़ की योजना
  • रेयर अर्थ मैग्नेट्स अब देश में बनेंगे
  • चीन पर निर्भरता घटाने की बड़ी पहल
₹7,350 करोड़ का 'गुप्त' मिशन, चीन के 'चुंबकीय चक्रव्यूह' को तोड़ेगा भारत; लगाए जाएंगे 5 बड़े प्लांट

Electronics and Auto Industry India: इस योजना का नाम Scheme to Promote Sintered Rare Earth Permanent Magnet Manufacturing in India रखा जा सकता है. सरकार का लक्ष्य एक पूरी तरह भारत में मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम तैयार करना है. इससे साल भर में प्रोडक्शन क्षमता करीब 6,000 टन हो जाएगी. यह योजना 7 साल तक चलने वाली है. इन मैग्नेट्स को कई चरणों में बनाया जाएगा.

कैसे मिलेगी मदद?
सरकार 5 बड़े प्लांट लगाने वाली है. सभी प्लांट हर साल 600 से 1,200 टन प्रोडक्शन कर सकेगा. बता दें कि चुनी गई कंपनियों को दो तरह से मदद मिलने वाली है. पहली वे जितनी बिक्री करेंगी उस पर उन्हें कुछ ज्यादा पैसे मिलने वाले हैं.

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क्यों जरूरी है यह कदम?
भारत में अभी Rare Earth Magnets की सालाना मांग 4,000 टन के आसपास है, जो 2030 तक 8,000 टन तक पहुंच सकती है. हालांकि चौकांने वाली बात ये हैं कि घरेलू प्रोडक्शन लगभग न के बराबर है. बता दें कि चीन द्वारा अप्रैल 2025 में REPM के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने के बाद भारत की ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में सप्लाई संकट पैदा हो गया था. यही वजह है कि सरकार अब घरेलू प्रोडक्शन को बढ़ावा दे रही है.

कच्चे माल की व्यवस्था कैसे होगी?
भारत की सरकारी कंपनी Indian Rare Earths Ltd फिलहाल लगभग 500 टन NdPr ऑक्साइड बनाती है, जिससे केवल 1,500 टन मैग्नेट ही बन सकता है. वहीं बाकी कंपनियों को अपनी जरूरत का कच्चा माल खुद जुटाना होगा. सरकार IREL से कुछ मात्रा ही L1, L2 और L3 बिडर्स को देने वाली है जबकि L4 और L5 कंपनियों को पूरा माल खुद इंपोर्ट करना पड़ेगा.

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ritesh jaiswal

डिजिटल पत्रकार और साइंस के जानकार हैं, ट्रैवल सेगमेंट में काम करने का 6 महीने से ज्यादा एक्सपीरियंस है. विज्ञान और ट्रैवल की बारीक खबरों का अपडेट देते हैं. ...और पढ़ें

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