भारत में क्या है सट्टेबाजी का इतिहास? जानिए किसे कहा जाता है सट्टा किंग और बुकी

भारत में बेटिंग और सट्टेबाजी का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है. आज यह क्रिकेट तक सीमित नहीं, बल्कि कई खेलों में फैला हुआ है. सट्टेबाजी में सट्टा किंग जैसे लोग पैसे का लेन-देन और दांव लगवाने का काम करते हैं. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के बढ़ने से सट्टेबाजी का दायरा और भी बढ़ गया है. Fantasy Sports जैसे प्लेटफॉर्म्स को भी लेकर काफी बहस चलती रहती है.  

Written by - Shantanu Singh | Last Updated : May 23, 2025, 08:10 PM IST
  • भारत में सट्टेबाजी अब सिर्फ क्रिकेट नहीं, कई खेलों तक फैल चुकी है
  • ऑनलाइन सट्टा युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रहा है
भारत में क्या है सट्टेबाजी का इतिहास? जानिए किसे कहा जाता है सट्टा किंग और बुकी

भारत में खेल सिर्फ एंटरटेनमेंट का जरिया नहीं हैं, बल्कि लोगों के जुनून और भावनाओं से जुड़े हुए हैं. क्रिकेट से लेकर कबड्डी, हॉकी और फुटबॉल तक, हर खेल का अपना फैन बेस है. लेकिन खेलों के साथ-साथ एक और चीज ने भी हमेशा लोगों का ध्यान खींचा है, बेटिंग और सट्टेबाजी. ये शब्द सुनते ही कान खड़े हो जाते हैं, लेकिन इसका मतलब जानना जरूरी है. चलिए जानते हैं कि भारत में सट्टेबाजी का इतिहास क्या है, 'सट्टा किंग' किसे कहते हैं, और क्यों ये हमेशा विवादों से घिरे रहते हैं.

बेटिंग और सट्टेबाजी में क्या फर्क है?
बेटिंग यानी किसी खेल या इवेंट के नतीजे पर दांव लगाना. अगर सही निकला तो पैसा जीतते हैं, गलत हुआ तो हारते हैं. वहीं, सट्टेबाजी आमतौर पर बिना किसी सरकारी इजाजत के होने वाली बेटिंग को कहा जाता है. भारत में ज्यादातर बेटिंग गैरकानूनी है, खासकर जब ये रजिस्टर किए बिना या गुप्त तरीके से होती है.

भारत में सट्टेबाजी का इतिहास
भारत में सट्टेबाजी का इतिहास हजारों साल पुराना है. पुराने जमाने में लोग पासों के खेल में दांव लगाया करते थे. महाभारत में युधिष्ठिर और शकुनि का खेल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. समय के साथ सट्टेबाजी का तरीका जरूर बदला, लेकिन इसकी मौजूदगी में कोई फर्क नहीं पड़ा.

ब्रिटिश शासन के दौरान हॉर्स रेसिंग को लेकर सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता मिली थी. आज भी कुछ राज्यों में हॉर्स रेसिंग पर बेटिंग लीगल है और ये एकमात्र ऐसा खेल है जिस पर कानूनी दांव लगाया जा सकता है.

सट्टेबाजी सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है
जब सट्टेबाजी की बात आती है, तो सबसे पहले क्रिकेट का नाम आता है. IPL, टी-20 लीग्स और वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट्स में करोड़ों का सट्टा खेला जाता है. 2013 में IPL स्पॉट फिक्सिंग केस ने पूरे क्रिकेट जगत को हिला कर रख दिया था, जिसमें बड़े खिलाड़ी और बुकी शामिल थे.

लेकिन सट्टेबाजी सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है. कबड्डी, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन जैसे खेलों में भी लोग ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से पैसा लगाते हैं. यहां तक कि गांव-कस्बों में होने वाली लोकल प्रतियोगिताओं में भी सट्टा चलता है.

सट्टा किंग कौन होता है?
‘सट्टा किंग’, सट्टेबाजी की दुनिया में सबसे मशहूर नाम होता है. ये वो लोग होते हैं, जो नंबर गेम्स या खेलों में दांव लगवाते हैं और जीतने या हारने पर पैसे का लेन-देन करते हैं. आजकल 'सट्टा किंग' एक ऑनलाइन नाम भी बन गया है, जहां लोग खास वेबसाइट्स या व्हाट्सएप ग्रुप्स से जुड़कर गैरकानूनी गेम्स में भाग लेते हैं. कई लोग इसे लॉटरी जैसा समझते हैं, लेकिन ये पूरी तरह से नियमों के खिलाफ होता है.

ऑनलाइन सट्टेबाजी का नया दौर
जब से स्मार्टफोन और इंटरनेट आया है, तब से सट्टेबाजी भी ऑनलाइन हो चुकी है. कई विदेशी वेबसाइट्स भारत में बिना किसी लाइसेंस के चल रही हैं, और लोग VPN या दूसरे तरीकों से इनका इस्तेमाल करते हैं. इसका सबसे ज्यादा असर युवा वर्ग पर पड़ता है, क्योंकि शुरुआत में मजे के लिए किया गया दांव बाद में लत बन सकता है.

भारत में कानून क्या कहता है?
भारत में सट्टेबाजी को लेकर कोई एक जैसे कानून नहीं हैं. Public Gambling Act, 1867 के तहत ज्यादातर बेटिंग को गैरकानूनी माना गया है, लेकिन कुछ राज्यों में यह अभी भी लीगल है. सिक्किम और नागालैंड जैसे राज्य ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट कर रहे हैं, जबकि तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने इसे पूरी तरह बैन कर दिया है. Fantasy Sports जैसे प्लेटफॉर्म्स को भी लेकर काफी बहस चलती रहती है.

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