नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के अमरोहा की रहने वाली शबनम ने साल 2008 में अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी थी.
इस जुर्म के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट से दया याचिका खारिज होने के बाद शबनम ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष एक नई याचिका दायर की है.
रामपुर जेल में वायरल हुई थी तस्वीर
रामपुर जेल से शबनम की एक तस्वीर वायरल होने के बाद प्रशासन ने यह निर्णय लिया था की उसे रामपुर जिला जेल से बरेली जिला जेल शिफ्ट कर दिया जाए.
जेल प्रशासन का कहना है की शबनम की वायरल हुई तस्वीर 26 जनवरी के दिन खींची गई थी.
बरेली जिला जेल के अधीक्षक वी पी सिंह ने शबनम को बरेली जिला जेल में शिफ्ट किए जाने की पुष्टि की है.
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दो बंदी रक्षकों को किया गया निलंबित
रामपुर जिला कारागार के अधीक्षक पी डी सलोनिया ने बताया कि रामपुर जिला जेल से शबनम की वायरल तस्वीर के मामले की जांच में दो बंदी रक्षकों को दोस्शी पाया गया है.
इन दोनों बंदी रक्षकों नाहिद बी और शुएब खान को सोमवार को निलंबित कर दिया है.
क्यों हुई फांसी की सजा
साल 2008 में अमरोहा जिले में हसनपुर के गांव बावनखेड़ी में प्रेमी सलीम के साथ मिलकर शबनम ने अपने माता-पिता, दो भाई, भाभी, फुफेरी बहन व मासूम भतीजे की हत्या कर दी थी.
15 जुलाई 2010 को अमरोहा सत्र अदालत ने सलीम और शबनम को फांसी की सजा सुनाई गई थी.
उसके बाद उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय ने ने भी दोनों की सजा को बरकरार रखा था.
राष्ट्रपति ने भी उनकी दया याचिका खारिज कर दी. उसके बाद दोनों ने फिर से उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की.
शीर्ष अदालत ने शबनम की याचिका खारिज करते हुए रामपुर जेल प्रशासन को फांसी का आदेश भेजा था.
हाल ही में, शबनम के वकील ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष एक नई दया याचिका दायर की है.
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