नई दिल्लीः महाराष्ट्र में सरकार बनाने का मसला पूरी तरह उलझते-उलझते अब बिखर गया है. बुधवार शाम को भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कहा कि शिवसेना ने जो शर्तें रखी थीं वह कतई नहीं मानी जा सकती थीं. उन्होंने राज्यपाल के राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को भी सही ठहराया और कहा कि जिसके पास संख्या हो वह सरकार बना ले.
राज्यपाल ने किसी को मौका देने से मना नहीं किया है
लगातार 19 दिन से जारी महाराष्ट्र विधानसभा का गतिरोध अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है. भाजपा अपनी अधिक वोटों के आधार पर शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही थी, लेकिन शिवसेना ने ढाई-ढाई साल के सीएम पद की मांग रखी. इसी तरह कुछ अन्य नीतिगत आधार पर गठबंधन हफ्ते भर तक सरकार नहीं बना सका. राज्यपाल बारी-बारी से सभी दलों को सरकार बनाने का न्योता देते रहे, लेकिन किसी भी दल ने सरकार बना लेने का मजबूत दावा पेश नहीं किया.
इस पूरे प्रकरण पर भाजपा का सबसे शीर्ष धड़ा अभी तक चुप रहा है, लेकिन बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने इस मामल पर अपना रुख स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि राज्यपाल की ओर से राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला सही है. गृह मंत्री ने यह भी कहा कि अगर किसी के पास संख्या बल है तो वह आज भी राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है और राज्यपाल ने किसी को मौका देने से इनकार नहीं किया है.
#WATCH BJP President Amit Shah to ANI:The Governor has not denied chance to anyone(to form Govt). A learned lawyer like Kapil Sibal is putting forth childish arguments like ‘we were denied a chance to form Govt’. #Maharashtra pic.twitter.com/Aac2hpVIHD
— ANI (@ANI) November 13, 2019
कपिल सिब्बल पर साधा निशाना
मीडिया से बातचीत में शाह ने कांग्रेस नेता सिब्बल को निशाने पर लिया. कहा कि-अभी सबके पास समय है. कोई भी वहां जा सकता है. किसका मौका छीन लिया, कैसे मौका छीन लिया? मेरी समझ में नहीं आता कि कपिल सिब्बल जैसे विद्वान वकील बचकानी दलीलें दे रहे हैं कि उन्हें महाराष्ट्र में सरकार बनाने का मौका नहीं मिला. आपके पास मौका है,
आप सरकार बनाओ ना. अमित शाह ने यह भी कहा कि चुनाव अभियान के दौरान जब देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश किया गया तो किसी ने आपत्ति नहीं की थी. अब वे नई मांग लेकर आए हैं जो हमें स्वीकार नहीं हैं. शिव सेना सरकार बनाने के लिए अतिरिक्त समय नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. शिव सेना की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल वकील हैं. शिव सेना, कांग्रेस और एनसीपी तीनों ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की आलोचना की है.
दरअसल बीजेपी की ओर से सरकार बनाने में असमर्थता जताने के बाद जब कोई भी दल सोमवार शाम तक राज्यपाल के सामने बहुमत पेश नहीं कर सका तो राज्यपाल की सिफारिश पर मंगलवार को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं, लेकिन इस बार हुए विधानसभा चुनावों में कोई भी पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर सकी थी. राज्यपाल ने सबसे पहले, सबसे अधिक सीट पाने वाली बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था लेकिन शिव सेना का साथ छोड़ने के बाद बीजेपी ने सरकार बनाने में असमर्थता जाहिर की. इसके बाद शिव सेना को न्योता दिया लेकिन शिव सेना ने 48 घंटे की मोहलत मांगी. राज्यपाल ने उनके इस आग्रह को अस्वीकार करते हुए उन्हें 24 घंटे की मोहलत दी. इसके बाद सोमवार देर रात को ही राज्यपाल ने एनसीपी को भी सरकार बनाने का दावा पेश करने का न्योता दिया लेकिन कांग्रेस को ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया. जिसे लेकर अहमद पटेल ने मंगलवार को नाराज़गी जताते हुए कहा कि यह संविधान के अनुरूप नहीं है.
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