नई दिल्लीः नागरिकता कानून के विरोध की असंवेदनशीलता इसी बात से समझी जा सकती है कि तकरीबन एक महीने से आवाजाही का रास्ता बंद है. न बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं और न बड़े समय पर ऑफिस. कुछ लोग एक जगह पर जमे होकर अधिकार मांग रहे हैं वह भी हजारों-लाखों के अधिकारों को चोट पहुंचाते हैं. इसकी भरपाई बच्चों को अपनी पढ़ाई दांव पर लगाकर करनी पड़ रही है, तो युवाओं के करियर में असंतुलन आ रहा है. समय पर अपने ऑफिस न पहुंच पाना लोगों में तनाव पैदा कर रहा है, लेकिन आपको चाहिए आजादी... वह भी सड़क बंद करके.
अदालत ने लिया है संज्ञान
अब दिल्ली हाईकोर्ट ने नोएडा से दिल्ली, फरीदाबाद और गुरुग्राम को जोड़ने वाले कालिंदी कुंज रोड को लेकर संज्ञान लिया है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को मामले पर एक्शन लेने का आदेश दिया है. बीते कई सप्ताह से बंद यह रोड लाखों लोगों की परेशानियों का कारण बनी हुई है. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शाहीन बाग में प्रदर्शन जारी है और रोड बंद है. इस मामले में सरिता विहार रेजिडेंट्स वेलफेयर असोसिएशन की ओर से याचिका दायर की गई है.
Delhi HC directs police to look into Kalindi Kunj-Shaheen Bagh blockage causing difficulty for students
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— ANI Digital (@ani_digital) January 18, 2020
छात्रों की पढ़ाई चौपट, सड़क पर जाम
स्कूली बच्चों का पक्ष रखने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नवीन चावला ने दिल्ली पुलिस को रोड बंद होने के मसले पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है. सरिता विहार रेजिडेंट्स वेलफेयर असोसिएशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि 15 दिसंबर से इस रोड के बंद होने के चलते स्कूली छात्रों को परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है.
कई छात्रों की पढ़ाई का ऐसे वक्त में नुकसान हो रहा है, जब उनकी बोर्ड परीक्षाओं में कुछ ही दिन का वक्त बचा है. याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए वकील अमरेश माथुर ने कोर्ट में कहा कि फरवरी और मार्च में 10वीं और 12वीं की प्री-बोर्ड और बोर्ड परीक्षाएं हैं. लेकिन कालिंदी कुंज रोड बंद होने के चलते मथुरा रोड पर भारी जाम लग रहा है. इससे युवाओं के करियर पर भी असर पड़ रहा है.
संविधान की प्रस्तावना के साथ मूल कर्तव्य क्यों नहीं पढ़ते प्रदर्शनकारी
नागरिकता कानून का विरोध करने को लेकर प्रदर्शनकारी हर प्रदर्शन में संविधान की प्रस्तावना का पाठ करने लगते हैं. अगर भारतीय संविधान पर इतना ही भरोसा है तो इसकी और भी बातों पर उन्हें गौर फरमाना चाहिए. मूल अधिकारों की बात तो कर ली जाती है, लेकिन मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) को अमल में लाने की बात क्यों नहीं की जा रही है.
संविधान में प्रत्येक नागरिक को 11 कर्तव्यों का पालन करना जरूरी लिखा है. इसमें सबसे जरूरी है कि सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना, लेकिन विरोध शुरू होते ही सबसे पहले इस कर्तव्य की बलि चढ़ती है. सड़क भी सार्वजनिक संपत्ति है और शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी आम लोगों के इस अधिकार का एक महीने से हनन कर रहे हैं.
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