दिल्ली: पीएम मोदी की पाकिस्तान यात्रा पर सवाल खड़े करने वाले कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा लोगों को बिना बताए नीडिया से छिप कर अचानक पाकिस्तान चले गये और उन्होंने वहां के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से मुलाकात भी की. भारत और पाकिस्तान के तल्ख रिश्ते के बीच अभिनेता व कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा पाकिस्तान के लाहौर में एक शादी समारोह में शिरकत करने पहुंचे थे. सोशल नीडिया पर लोग उनकी खिंचाई कर रहे हैं.
on the invite of great businessman,entrepreneur#MianAsadEshan & his wife, our bhabhi#MrsSamy.He is a dear family friend & my wife #MrsPoonamSinha’s rakhi brother. I’m here representing my family for the wedding of Mian Asad Eshan’s son#MianAhmedAsad’s wedding with #HeenaBaig. pic.twitter.com/a85NumcYeS
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) February 22, 2020
कश्मीर पर पकिस्तान की बातों का किया समर्थन
पाक राष्ट्रपति ने मुलाकात के बाद दावा किया कि कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर उनकी चिंता पर समर्थन जताया है. पाक राष्ट्रपति कार्यालय से ट्वीट किया गया, 'भारतीय नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से लाहौर में आज मुलाकात की. उन्होंने दोनों देशों के बीच शांति का पुल बनाने के महत्व पर चर्चा की. सिन्हा ने कश्मीर में 200 से अधिक दिनों के लॉकडाउन पर राष्ट्रपति की चिंता का समर्थन किया.
शत्रुघ्न सिन्हा ने दौरे को बताया निजी
शत्रुघ्न सिन्हा ने इस दौरे को पूरी तरह से निजी बताया और कहा कि इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. इससे पहले सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे, जिसके बाद कांग्रेस को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. उन्हें पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के गले मिलते भी देखा गया था. बता दें कि शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं क्योंकि भाजपा पहले ही उस पर पाक की भाषा बोलने के आरोप लगाती रही है.
भाजपा छोड़ कांग्रेस में गये थे शत्रुघ्न
उल्लेखनीय है कि शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा में थे और बाद में वो कांग्रेस में आ गए. भाजपा के कद्दावर नेता रहे शत्रुघ्न सिन्हा मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव से ठीक BJP से अलग होकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था. कांग्रेस ने उन्हें पटनासाहिब लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था. हालांकि, वह केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से चुनाव हार गए थे.
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