मुंबई: अर्थव्यवस्था में चल रही गिरावट के बीच मोदी सरकार-2 ने अपना दूसरा आम बजट पेश कर दिया. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कई नई योजनाओं का ऐलान किया और देश के सर्वांगीण विकास के लिये इसे सार्थक बताया. कई राजनीतिक दल इस बजट की तारीफ कर रहे हैं तो कई इसकी आलोचना कर रहे हैं. शिवसेना ने भी इस बजट को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की है.
शिवसेना ने सामना में बजट को कहा ‘शब्दों का खेल’
शिवसेना के मुखपत्र सामना में शनिवार को लोकसभा में पेश किए गए बजट 2020 को लेकर निशाना साधा गया है. संपादकीय में लिखा है कि केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार के दिन बजट पेश करते समय 2 घंटे 41 मिनट का रिकॉर्ड तोड़ भाषण भले दिया हो लेकिन ये सब केवल ‘शब्दों का खेल’ ही साबित हुआ.
संपादकीय में साधा निशाना
सामना के संपादकीय में कहा गया बजट शब्दों और आंकड़ों का खेल भले ही हो लेकिन उसे सरकार के संकल्प की भी आवश्यकता होती है. अन्यथा ये केवल घोषणा और प्रावधान के आंकड़ों का खतरा मात्र रह जाता है. 'बजट में फंसानेवाली घोषणाएं और खोखले प्रावधान होने के बावजूद वित्तमंत्री ने अपने रिकॉर्ड तोड़ भाषण से लगभग 18 हजार 926 ‘शब्द रत्नों’ को प्रस्तुत किया. सरकार के पास ‘अर्थ’ भले न हो लेकिन ‘शब्द रत्न’ खूब हैं!'
सरकार द्वारा निजीकरण को बढ़ाना गलत
शिवसेना ने अपने मुखपत्र के माध्यम से सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार द्वारा निजीकरण इसी प्रकार तेजी से जारी रहा तो सक्षम सरकारी कंपनियों में निजी हिस्सेदारी बढ़ाने के सरकारी साजिशों का आरोप सरकार पर लगेगा. सरकार की आर्थिक स्थिति और कुछ न देनेवाले बजट को देखते हुए मोदी सरकार पर दूसरी बार विश्वास दिखाना बड़ी भूल है क्या, ऐसा सवाल मध्यमवर्गीय, नौकरीपेशा तथा कर्मचारी वर्ग के समक्ष उपस्थित हो चुका है.