श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में 6 महीनों के बाद राजनितिक गतिविधियां तेज़ी पकड़ने लगी. पिछले तीन हफ़्तों में पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के 17 बड़े नेता को रिहा कर दिया गया है.
घाटी में हालात बदलने के संकेत
कश्मीर घाटी की राजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव के संकेत तब दिखे जब पीडीपी सरकार में मंत्री रहे अल्ताफ बुखारी सहित राज्य के कई बड़े नेताओं ने लेफ्टिनेन्ट गवर्नर से मुलाकात की. नेताओं का ये दल बाद में जम्मू कश्मीर के दो दिनों के दौरे पर आये विदेशी राजनयिकों से भी मिला. हालांकि पीडीपी के शीर्ष नेतृत्व को अक्ल अब तक नहीं आई है, क्योंकि उन्होंने शांति बहाली की कोशिशों में लगे अपने ही नेताओं को बर्खास्त करके अपनी पाकिस्तान परस्त मंशा का सबूत दे दिया है.
अदालत के रुख से खुश दिखे अल्ताफ बुखारी
राज्य में शांति बहाली की कोशिशों में लगे पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी ने बयान दिया है कि "मेरा मानना हैं कि 370 सुप्रीम कोर्ट में हैं. उसपर बात करना इस वक्त कोई मायने नहीं रखता. लेकिन इंटरनेट पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया बड़ी ख़ुशी की बात हैं. क्योंकि अदालत भी वैसा ही महसूस कर रही है जो हम यहां महसूस करते हैं. कश्मीर में अच्छे राजनैतिक दल हैं. लेकिन अगर वो कुछ नहीं करेंगे तो हम हाथ पे हाथ रखे नहीं रह सकते.
कई शीर्ष राजनेता अभी भी नजरबंद
हालांकि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेन्स के कई नेता अब भी कुछ बोलने से बच रहे हैं. वे मामला अपने शीर्ष नेताओं पर डालकर बात टाल देते हैं. उनका कहना है कि उनके राजनीतिक दलों की आगे की रणनीति उनके दलों के अध्यक्ष तय करेंगे. जो अभी हिरासत में हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्य्मंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्लाह तथा उमर अब्दुल्ला अभी भी बंद है. इसके अलावा पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती को भी हिरासत में रखा गया है.
भाजपा को है हालात सामान्य होने का भरोसा
हालांकि जम्मू कश्मीर भाजपा मानती हैं कि उनका लक्ष्य हमेशा लोकतंत्र रहा है और मानते हैं बहुत जल्द जम्मू कश्मीर में एक नया राजनीतिक अध्याया शुरू होगा जो विकास का होगा और जम्मू कश्मीर की समस्याओं को हल करने वाला होगा.
भाजपा के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने बयान दिया है कि 'हम हमेशा लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में भरोसा रखते हैं और जिन लोगों ने यहाँ के लोगों को हमेशा मीठे सपने दिखाए उनको भी अब समझना चाहिए की कश्मीर की क्या ज़रूरत हैं"
अल्ताफ के मुताबिक केंद्र सरकार की तरफ से जो 36 मंत्री जम्मू कश्मीर आ रहे हैं, वो ये देखने के लिए आ रहे हैं कि कश्मीर में लोगों को क्या मुश्किल हैं, यहाँ विकास कैसे होगा, क्या नए प्रोजेक्ट यहाँ लागु करने हैं. इन मंत्रियों के 8 बड़े कार्यक्रम कश्मीर में 21 जनवरी से शुरू होंगे"
गौरतलब है कि अनुछेद 370 हटने और राज्य के यूनियन टेरिटरी बने के बाद कश्मीर में राजनीतिक गतविधियां थम गई थी. क्योंकि माहौल खराब होने से बचाने के लिए जम्मू कश्मीर के कई बड़े नेताओं को या तो हिरासत में लिया गया था या फिर घरों में नज़रबंद कर दिया गया था.
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