पटना: बिहार में शराबबंदी के बाद भी लगातार शराब का जखीरा पकड़ा जाता रहा है. शनिवार को बिहार पुलिस को सारण जिले से ट्रक में लाद कर ले जा रहे 4400 लीटर के शराब को बरामद किया. शातिर बदमाशों ने ट्रक में 6 ताबूतों में शराब छुपाया था. चेकिंग के दौरान पुलिस को शक हुआ और जब ताबूत खुलवाए गए तो इतने बड़ी मात्रा में शराब की कालाबाजारी करते देख पुलिस चौकन्नी हो गई. सारण के एसपी हर किशोर राय ने बताया कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, वे हरियाणा के पटियाला के रहने वाले हैं. लेकिन वे बिहार में किसके कहने पर शराब की तस्करी कर रहे हैं, इसका पता अभी नहीं चल सका है. मामले की छानबीन की जा रही है, पूछताछ के बाद जल्द जानकारी साझा की जाएगी.
Bihar: A total of 502 cartons containing 4,400 litres of alcohol were recovered from 6 coffins in Saran, today. One accused arrested. Har Kishore Rai, SP Saran says,"The arrested accused belongs to Patiala. We are investigating the matter". pic.twitter.com/ActAZwUmXc
— ANI (@ANI) November 16, 2019
झारखंड और यूपी से हो रही खूब तस्करी
बिहार में शराबबंदी को तकरीबन चार साल हो गए हैं. लेकिन देखा जाए तो रोज ही शराब तस्करी के कोई न कोई मामले सामने आते ही रहते हैं. बल्कि बदमाशों ने तो और नए-नए तरीके इजात कर लिए हैं, शराब तस्करी करने के. बिहार के पड़ोसी राज्यों से शराब का आयात खूब होने लगा था. उत्तर प्रदेश और झारखंड से छोटी गाड़ियों में या फिर बालू लदे ट्रकों में शराब के कार्टून छुपाकर अड्डे पर पहुंचा दिए जाते हैं और उनके दामों से ज्यादा में बेच दिए जा रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि अब यह भी धीरे-धीरे धंधे का रूप लेने लगा है. इसको ऐसे समझा जाए कि उत्तर प्रदेश से चली शराब की एक कार्टून का असल दाम है 500 रुपए. जब बिहार के एक जगह पर इसे पहुंचाने के लिए ट्रक वाले को दिया जाता है तो वह अलग चार्ज करता है. इसके बाद पहुंचाए हुए माल को 500 की जगह ट्रांस्पोर्टेशन का चार्ज जोड़कर सीधे डबल दामों में बेच दिया जाता है.
पुलिस खुद भी लगी है कालाबाजारी में
शराब के इस कालाबाजारी में बिहार पुलिस कम दोषी नहीं. ऐसे कई मामले आए हैं जब पुलिस खुद ही शराब की खरीद-फरोख्त में संलग्न पाई गई हो. बिहार में अब तक 25 के करीब पुलिस अधिकारी और जवान शराब तस्करी और गलत तरीके से इसकी खरीद-फरोख्त मामले में नप चुके हैं. दरअसल, पुलिसवाले कई बार जब्त की गई या पकड़ी गई शराब में से कुछ हिस्सा निकाल कर खुद इसे औने-पौने दामों में बेचकर अपनी जेब भरने में लग जाते हैं. इस तरह के मामलों में प्रदेश के मुजफ्फरपुर जिले के जोनल इंस्पेक्टर और SSP तक पकड़े जा चुके हैं. उन्होंने तो अपना गुनाह खुद कबूला था. कहते हैं न कि रक्षक ही अगर भक्षक बन जाएं तो क्या हो. एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक जून 2019 तक तकरीबन 180 पुलिस अधिकारी और 400 के करीब जवानों को शराबबंदी कानूनों का दोषी पाया गया और सस्पेंड कर दिया गया है.
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फेल रही नीतीश सरकार की शराबबंदी योजना
सारण में जो इतनी बड़ी मात्रा में शराब को पकड़ा गया उस मामले में जांच-पड़ताल की जा रही है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के हरदोई में अवैध शराब के विरुद्ध अभियान भी चलाए जा रहे हैं जिसके तहत थाना बघौली और अतरौली में पुलिस और आबकारी विभाग की संयुक्त टीम ने छापेमारी की. इस छापेमारी में तकरीबन 3000 किलो लहन नष्ट किया गया और 300 लीटर से भी ज्यादा शराब बरामद किया गया. इस मामले में 9 लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है. लेकिन इन सब के बाद कई रिपोर्टें इस बात की पुष्टि करती हैं कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से फेल हुई है. चाहे इसके पीछे नीति निर्धारण में कमी रही हो या लचर पुलिसिया व्यवस्था लेकिन सूबे में इसके परिणाम विपरीत ही देखने मिले हैं.