शर्मनाक सियासत से सिसकता लोकतंत्र: जब राज्यसभा में रो पड़े उपराष्ट्रपति

लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने जिस कदर हंगामा किया, उसक चलते तय समय दो दिन पहले ही सदन अनिश्चिताल के लिए स्थगित कर दिया गया. करतूतों के चलते सभापति वेंकैया नायडू भावुक हो गए. निश्चित तौर पर शर्मनाक सियासत से भारत का लोकतंत्र सिसकियां भर रहा होगा.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Aug 11, 2021, 10:43 PM IST
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शर्मनाक सियासत से सिसकता लोकतंत्र: जब राज्यसभा में रो पड़े उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली: राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई है. ओबीसी बिल पास होने के बाद राज्यसभा में जमकर हंगामा होने लगा था, जिसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी है. तय समय से दो दिन पहले संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी है.

संसद के अंदर जनादेश का अपमान क्यों?

घटनाक्रम कुछ ऐसा है कि OBC बिल पास होने के बाद राज्यसभा में INSURANCE BILL पर चर्चा शुरू हो गई. जिसके बाद विपक्ष का हंगामा शुरू हो गया. विपक्ष का कहना था कि उनसे सिर्फ OBC बिल पास कराने की बात हुई थी. इसके बाद विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया और चेयर की तरफ कागज फेंके गए, हंगामा बढ़ गया तो मार्शल को बुलाया गया.

संसद के दोनों सदनों में पिछले 17 दिन में जो हुआ, उस पर हर मतदाता को गौर करना चाहिये, क्योंकि ये सिर्फ देश के कुछ नेताओं की अलोकतांत्रिक चाल, असंवेदनशील चेहरा और असंसदीय चरित्र की बात नहीं है. ये हर किसी के मत यानी वोट का अपमान है. ये आपके जनादेश का अपमान है कि जिस संसद में सांसदों को देशहित की चर्चा करनी थी वहां चेयर पर किताबें फेंकी जा रही थी. चेयर पर पुर्जे उड़ाये जा रहे थे.

जब रो पड़े खुद उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

सदन में ऐसी हरकतें हुई कि हर किसी को ये सोचना चाहिए कि आपने जिस नेता को वोट देकर संसद भेजा है. क्या वो संसद के लिए शान बन रहा है या शर्म.. सदन की मर्यादा को तार-तार होते देखना असह्य हो गया तो समय से 2 दिन पहले ही लोकसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. उधर राज्यसभा के अपमान और संसदीय परंपरा पर जो दाग कांग्रेस ने लगाया. उसे याद कर सभापति सदन में ही रो पड़े.

एक 72 साल का बुजुर्ग राजनेता जब देश के उच्च सदन में खड़े होकर रोते हैं. रात भर सो नहीं पाने की वेदना व्यक्त करते हैं. उसके चंद सेकेंड के अंदर नारेबाजी शुरू हो जाती है और जब उन पर नियमों के हिसाब से कार्रवाई होती है, तो विपक्षी आरोप लगाते हैं कि सदन में उनसे सही सलूक नहीं हो रहा. आपको दिखा देते हैं कि इस मॉनसून सत्र में क्या क्या हुआ?

तय वक्त से दो दिन पहले ही सदन स्थगित

भारत की संसदीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया की असली सूरत पेश करती तस्वीरें सामने आई हैं. जहां सत्ता और विपक्ष देश की खातिर अपनी नीतियां और सियासत की दिशा तय करते हैं. और ये है देश की संसद में विपक्षी सियासत की बदसूरत तस्वीर जहां विपक्ष ने ठान लिया कि न काम करूंगा, न करने दूंगा, न संसद का सम्मान रखूंगा न बचने दूंगा.

हद तो तब हो गई जब स्पीकर के चेहरे पर पुर्जे उड़ाये जाने लगे. राज्यसभा में चेयर पर रूलबुक फेंक कर हमले की कोशिश की जाने लगी. आखिरकार लोकसभा और राज्यसभा को तय वक्त से दो दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा.

लोकसभा तो स्थगित हो गई लेकिन राज्यसभा में ओबीसी के मुद्दे पर संविधान संशोधन बिल पास होना था. और सदन चलाने की मजबूरी थी इसी मजबूरी और कांग्रेसी सांसदों के असंसदीय आचरण से दुखी होकर एम वेंकैया नायडू रो पड़े. देश के उपराष्ट्रपति रोए जा रहे हैं, लेकिन शर्मनाक सियासत फिर भी थमती नहीं. हालांकि बिल राज्यसभा में भी पास हो गया.

जमकर हुई सियासत, बवाल ही बवाल

कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि रूल बुक इसलिए फेंकी गयी कि पढ़ लो रूल क्या है. वहीं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि 'इनको शर्मिदगीं तो नहीं आ रही है होगी पर जिन राज्यों ने इनको चुनकर भेजा होगा उनको शर्मिंदगी हो रही होगी.'

वहीं कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सफाई पेश करते हुए कहा कि मैं राज्यसभा में नहीं था मैंने नहीं देखा है. तो बीजेपी सांसद संजीव बालियान ने बोला कि 'जय जवान जय किसान का नारा सही है. इसपर किसी को आपत्ति नहीं होना चाहिए, पर मेज पर चढ़ना गलत था.'

अफसोसनाक बात तो ये है कि कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद से बाहर जिस किसान के मुद्दे पर शोर मचा रखा था. वो सदन के अंदर कृषि बिल पर चर्चा तक नहीं चाहते थे. सच ये है कि ये किसानों के मुद्दे पर चर्चा तक नहीं चाहते थे और सड़क पर किसानों से सॉलिडरिटी दिखाते हैं.

बाधाओं के बीच चलता रहा सदन

विपक्षी दलों के नेताओं के तमाम उत्पात को झेलते हुए संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही चलती रही. स्पीकर ओम बिरला और सभापति एम वेंकैया नायडू ने किसी तरह जनहित के मुद्दों से जुड़े जरूरी कामकाज पूरे किये. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि 'कुल 17 बैठकें हुई और 21 घंटे 14 मिनट तक चली. 22 प्रतिशत उत्पादकता रही 20 विधेयक पारित हुए.'

जिस कांग्रेस की तमाम बाधाओं के बावजूद सरकार ने 20 विधेयक पारित किये, तो अब कांग्रेस कह रही है कि इस सत्र में 22 बिल पास किये गए. लोकसभा में सिर्फ औसत 10 मिनट हर बिल पर चर्चा हुई और राज्यसभा में औसतन 30 मिनट हर बिल पर चर्चा हुई.

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