गोला-बारूद हो या फाइटर जेट! विदेशी कंपनियां 'भारतीय वेंडर' बनकर बनाएंगी हथियार; HAL की बढ़ी चिंता

Indian vendor protection policy changed: भारत सरकार विदेशी रक्षा कंपनियों की 100% भारतीय सहायक कंपनियों को भारतीय वेंडर का दर्जा देने पर विचार कर रही है, जिससे निवेश और लोकल प्रोडक्शन दोनों बढ़ेंगे.  

Written by - harsh singh | Last Updated : Oct 5, 2025, 05:55 AM IST

    विदेशी कंपनियां अब भारतीय वेंडर

    HAL पर बढ़ा विदेशी दबाव

गोला-बारूद हो या फाइटर जेट! विदेशी कंपनियां 'भारतीय वेंडर' बनकर बनाएंगी हथियार; HAL की बढ़ी चिंता

Indian vendor protection policy changed: भारत डिफेंस क्षेत्र में अब एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रहा है. सरकार ऐसे नियमों पर विचार कर रही है, जिसके तहत विदेशी रक्षा कंपनियों की भारत में बनी 100% सहायक कंपनियों को भी भारतीय वेंडर का दर्जा दिया जा सकता है. अगर यह कदम लागू हो गया, तो न सिर्फ विदेशी निवेश बढ़ेगा बल्कि भारत का घरेलू रक्षा उत्पादन भी और मजबूत होगा.

क्यों जरूरी है यह बदलाव
अभी तक विदेशी रक्षा कंपनियां भारतीय वेंडर की कैटेगरी में तभी आती हैं, जब वे किसी भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी करें या उनकी हिस्सेदारी 49% से ज्यादा न हो. इस कारण से कई विदेशी कंपनियां भारत में बड़े स्तर पर निवेश करने से हिचकिचाती थीं. नए प्रस्ताव के तहत अगर कोई विदेशी कंपनी भारत में अपनी पूरे 100% स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बनाएगी और यहां असेंबली, टेस्टिंग, अनुसंधान और विकास जैसे काम करेगी, तो उसे भी भारतीय वेंडर का दर्जा मिलेगा.

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आत्मनिर्भर भारत से जुड़ा कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार पहले ही रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दे रही है. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने रिकॉर्ड 2.76 अरब डॉलर का रक्षा निर्यात किया है. अब यह नया नियम लागू होने पर विदेशी कंपनियां जैसे लॉकहीड मार्टिन, बोइंग और डसॉल्ट सीधे भारत में अपनी सहायक कंपनियों के जरिए बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए बोली लगा पाएंगी. इसमें 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) जैसे बड़े टेंडर भी शामिल हैं.

क्या होगा फायदा
इस नीति से उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में रक्षा कॉरिडोर को मजबूती मिलेगी. विदेशी कंपनियों की सहायक इकाइयां यहां पर 60 से 70% तक के पुर्जों का स्थानीय उत्पादन कर सकती हैं. इससे हजारों नई नौकरियां पैदा होंगी और छोटे-मझोले उद्योग (SMEs) को भी बड़ा फायदा मिलेगा.

चिंता भी है
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी कंपनियों की एंट्री से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स जैसी भारतीय कंपनियों पर असर पड़ सकता है. उनका कहना है कि यह सिर्फ स्क्रूड्राइवर असेंबली तक सीमित न रह जाए, इसके लिए कड़े ऑडिट और ऑफसेट नियम लागू करने होंगे.

अगर सरकार इस नीति को लागू करती है, तो अगले 10 सालों में भारत में 10 से 15 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आ सकता है. साथ ही, भारत को 2035 तक 500 से ज्यादा नए विमान और युद्धपोत की जरूरत है. ऐसे में यह फैसला रक्षा उत्पादन को नई गति देगा और भारत को दुनिया के सबसे बड़े रक्षा बाज़ारों में शीर्ष पर ले जाएगा.
 

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harsh singh

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