मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने किया खत्म, बंबई हाई कोर्ट का फैसला पलटा

5 जजों की संवैधानिक बेंच ने आरक्षण पर सुनवाई करते हुए कहा है कि इसकी सीमा को 50 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता.इसके साथ ही अदालत ने 1992 के इंदिरा साहनी केस में दिए गए फैसले की समीक्षा करने से भी इनकार कर दिया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 5, 2021, 01:35 PM IST
  • अदालत ने 1992 के इंदिरा साहनी केस की समीक्षा से किया इनकार
  • पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई में तीन बड़े मामलों पर सहमति जताई
मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने किया खत्म, बंबई हाई कोर्ट का फैसला पलटा

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों और दाखिले में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी महाराष्ट्र के कानून को ‘‘असंवैधानिक’’ करार देते हुए बुधवार को इसे खारिज कर दिया.

न्यायालय ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत पर तय करने के 1992 के मंडल फैसले (इंदिरा साहनी फैसले) को वृहद पीठ के पास भेजने से भी इनकार कर दिया.

इंदिरा साहनी केस की समीक्षा से इनकार
5 जजों की संवैधानिक बेंच ने आरक्षण पर सुनवाई करते हुए कहा है कि इसकी सीमा को 50 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता.इसके साथ ही अदालत ने 1992 के इंदिरा साहनी केस में दिए गए फैसले की समीक्षा करने से भी इनकार कर दिया है.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई के दौरान तैयार तीन बड़े मामलों पर सहमति जताई और कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने आरक्षण के लिए तय 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन करने के लिए कोई असाधारण परिस्थिति या मामला पेश नहीं किया.

बड़ी पीठ को मंडल फैसला भेजने से इनकार
शीर्ष अदालत ने राज्य को असाधारण परिस्थितियों में आरक्षण के लिए तय 50 प्रतिशत की सीमा तोड़ने की अनुमति देने समेत विभिन्न मामलों पर पुनर्विचार के लिए बृहद पीठ को मंडल फैसला भेजने से सर्वसम्मति से इनकार कर दिया.

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बंबई हाई कोर्ट के फैसले को पलटा
न्यायालय ने बंबई हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया. उच्च न्यायालय ने राज्य में शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा था.

यह है इंदिरा साहनी केस

1992 में 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा तय की थी. इसी साल मार्च में 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने इस पर सुनवाई पर सहमति जताई थी कि आखिर क्यों कुछ राज्यों में इस सीमा से बाहर जाकर रिजर्वेशन दिया जा सकता है.

हालांकि अब अदालत ने इंदिरा साहनी केस के फैसले की समीक्षा से इनकार किया है. 5 जजों की बेंच में अशोक भूषण के अलावा जस्टिस एल. नागेश्वर राव, एस. अब्दुल नजीर, हेमंत गुप्ता और एस. रवींद्र भट शामिल थे. 

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