नई दिल्ली: देश में 14 अप्रैल तक लॉक डाउन लगाया गया है. लॉकडाउन की वजह से हुए मजदूरों की पलायन से जुड़ी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इन याचिकाओं को वकील हर्ष मंदर, प्रशांत भूषण समेत कई वकीलों ने दायर किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लाखों लोगों के पास लाखों विचार हैं. हम सभी के विचार नहीं सुन सकते और इसके लिए सरकार को बाध्य नहीं कर सकते.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लाखों लोगों के पास लाखों विचार हैं. हम सभी के विचार नहीं सुन सकते. हम सभी के विचार एक साथ नहीं सुन सकते हैं. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें होटल और रिसॉर्ट्स का इस्तेमाल प्रवासी मजदूरों के लिए किए जाने की मांग की गई थी.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका में दलील दी गई थी कि शेल्टर होम में पर्याप्त स्वच्छता और सुविधा नहीं मिल पा रही है. इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि पीआईएल की दुकानों को बंद करना चाहिए. जिसको असल में मदद करनी होती है, वह जमीन पर काम करता है. एसी कमरों में बैठना और जनहित याचिका दाखिल करने से कोई फायदा नहीं होता. अगर अदालत प्रवासियों और मजदूरों पर विस्तृत रिपोर्ट चाहती है तो हम दायर करेंगे.
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विशेष निर्देशों की जरूरत नहीं: तुषार मेहता
तुषार मेहता ने कहा कि मजदूरों के पलायन के मसले पर अदालतों से विशेष निर्देशों की कोई आवश्यकता नहीं है. राज्य सरकारें पहले से ही आवश्यकतानुसार भवन, स्कूल, होटल आदि में व्यवस्था कर रही हैं. अगर जरूरत हुई तो हम और भी प्रबंध करेंगे.
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