नई दिल्लीः राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि राजनीतिक दल यह स्पष्ट करें कि किसी आपराधिक छवि वाले व्यक्ति को टिकट देने की क्या वजहें रहीं और उनका आपराधिक रिकॉर्ड भी बताएं. कोर्ट ने साल 2018 में राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण को रोकने के लिए दिए गए दिशा-निर्देश व उम्मदीवारों का अपराधिक रिकॉर्ड प्रकाशित कराने का आदेश लागू करने के आदेश दिए थे जिनका पालन नहीं किया जा रहा था.
Supreme Court also directs political parties to publish credentials, achievements and criminal antecedents of candidates on newspaper, social media platforms and on their website while giving a reason for selection of candidate with criminal antecedents. https://t.co/HE0Om38zGn
— ANI (@ANI) February 13, 2020
2018 में गठित की गई थी पीठ
31 जनवरी को न्यायाधीश आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने अश्वनी उपाध्याय की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अश्वनी उपाध्याय ने मांग की थी कि राजनीतिक दलों को आपराधिक लोगों को चुनाव के टिकट देने से रोका जाए. इसके साथ ही उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड प्रकाशित कराने का आदेश लागू किया जाए.
कोर्ट को इस पर निर्णय लेना था कि क्या राजनीतिक दलों को यह निर्देश दिए जा सकते हैं कि वह आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट न दें. अश्विनी कुमार की इस याचिका पर न्यायाधीश आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाया है. इस पीठ को सितंबर 2018 में गठित किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में यह मुख्य बातें हैं शामिल
- राजनीतिक दल वेबसाइट में प्रत्याशी का आपराधिक रिकॉर्ड बताएं.
- टिकट देने की वजह बताएं.
- क्षेत्रीय/राष्ट्रीय अखबार में छापें.
- फेसबुक/ट्विटर पर डालें.
- पालन कर चुनाव आयोग को जानकारी दें.
- पालन न होने पर आयोग अपने अधिकार के मुताबिक कार्रवाई करे.
72 घंटे के अंदर EC को बताना जरूरी है दागी की योग्यता
अदालत ने राजनीतिक दलों को ये भी आदेश दिया कि पार्टी अगर किसी दागी को टिकट देती है, तो उसकी योग्यता, उपलब्धियों और मेरिट की जानकारी 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को देनी होगी. कोई पार्टी अगर इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करती है तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग कानून के तहत कार्रवाई करेगा.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति के अपराधीकरण को खत्म करने के लिए चुनाव आयोग को एक हफ्ते में फ्रेमवर्क तैयार करने का निर्देश दिया था. जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस रवींद्र भट की बेंच ने आयोग से कहा था, 'राजनीति में अपराध के वर्चस्व को खत्म करने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार किया जाए.
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