नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर समीक्षा तक रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि वो इस कानून के तहत FIR दर्ज करने से परहेज करे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजद्रोह कानून फिलहाल निष्प्रभावी रहेगा और जो लोग पहले से इसके तहत जेल में बंद है, वो राहत के लिए कोर्ट का रुख कर सकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की 5 बड़ी बातें
1). राजद्रोह कानून पर सरकार फिर से विचार करे- सुप्रीम कोर्ट
2). सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राजद्रोह के तहत कानून का इस्तेमाल ठीक नहीं
3). सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जो जेल में वो अर्जी दे सकते
4). SC ने अपनी सुनवाई में कहा कि जब तक समीक्षा तब तक कार्रवाई पर रोक रहेगी
5). अदालत ने कहा कि केंद्र-राज्य सरकारें FIR से परहेज करें
सुप्रीम कोर्ट ने समीक्षा होने तक राजद्रोह कानून पर रोक लगा दी. इस दौरान देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ, आपको ये समझाते हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को ये भी बताया पुलिस अधिकारी राजद्रोह के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने के समर्थन में पर्याप्त कारण भी बताएंगे.
आंकड़ों की बात पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ये तो जमानती धारा है, अब सभी लंबित मामले की गंभीरता का विश्लेषण या आकलन कर पाना तो मुश्किल है. लिहाजा ऐसे में कोर्ट अपराध की परिभाषा पर रोक कैसे लगा सकती है? यह उचित नहीं होगा.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को ये भी बताया पुलिस अधिकारी राजद्रोह के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने के समर्थन में पर्याप्त कारण भी बताएंगे. केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा, 'पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक के अधिकारी को राजद्रोह संबंधी मामले दर्ज करने की जिम्मेदारी दी जा सकती है.'
राजद्रोह के लंबित मामलों के संबंध में, केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय को सुझाव दिया कि जमानत याचिकाओं पर सुनवाई शीघ्रता से की जा सकती है.
राजद्रोह के लंबित मामलों पर केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि हम मामलों की गंभीरता से अवगत नहीं हैं ; इनके आतंकवाद, धन शोधन जैसे पहलू हो सकते हैं.
राजद्रोह के तहत कानून का इस्तेमाल ठीक नहीं
उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र और राज्यों से कहा कि वे राजद्रोह के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने से बचें. उच्चतम न्यायालय राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए.
राजद्रोह मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी. प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जुलाई में होगी सुनवाई.
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