आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा है. सुप्रीम कोर्ट फैसले के जरिए अब यह तय करेगा कि आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत को जारी रखा जाए या उसकी जमानत रद्द कर जेल भेजा जाए.  

Written by - Nizam Kantaliya | Last Updated : Apr 4, 2022, 05:16 PM IST
  • सुनवाई में गवाह पर हमले का हुआ जिक्र
  • गवाहों की सुरक्षा पर भी हुई चर्चा
आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा है. सुप्रीम कोर्ट फैसले के जरिए अब यह तय करेगा कि आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत को जारी रखा जाए या उसकी जमानत रद्द कर जेल भेजा जाए.

आशीष के अधिवक्ता ने कही ये बात

जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका का विरोध करते हुए आशीष मिश्रा की ओर से अदालत में कहा गया कि किसानों की ओर से पुलिस में दी गयी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि गोली से एक किसान की मौत हुई है. उसी आधार पर हाई कोर्ट ने गोली न चलने की बात कही है. रिपोर्ट में लोगों ने यह भी कहा कि आशीष मिश्रा गन्ने के खेत में भाग गया जबकि घटनास्थल पर गन्ने का खेत था ही नहीं बल्कि धान का खेत था.

जमानत का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता रंजीतकुमार ने अदालत से कहा कि केंद्रीय मंत्री के गांव में दंगल होना था. आंदोलन कर रहे लोगों ने उपमुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर न उतरने देने की धमकी दी थी. इसी लिए मार्ग बदला गया था. यह कहना गलत है कि हाई कोर्ट ने किसी को नहीं सुना, वहां पीड़ितों को भी सुना गया था.

आशीष मिश्रा की ओर से कहा गया कि अगर सुप्रीम कोर्ट जमानत रद्द करेगा तो उसे जेल में रहना होगा क्योंकि फिर दूसरा कोई कोर्ट जमानत नही देगा. मामले में अधिवक्ता ने विस्तार से जवाब देने के लिए 3 दिन का समय भी मांगा।

गवाहों की सुरक्षा पर भी हुई चर्चा

सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से महेश जेठमलानी ने कहा अदालत से कहा गया कि इस केस से जुड़े हर गवाह को सुरक्षा दी गयी है. 20 मार्च को सरकार ने एक-एक गवाह से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर पूछा है कि उन्हे कोई खतरा तो नही है.

सरकार ने अदालत को बताया कि सबने मना किया है कि उन्हे कोई खतरा है. सरकार ने कहा कि जमानत के केस में मिनी ट्रायल नहीं होना चाहिए था, लेकिन 10 फरवरी के बाद से कोई अवांछित घटना नहीं हुई. आरोपी के फरार होने का भी कोई खतरा नहीं है और हमें SIT ने कहा कि आरोपी गवाहों को नुकसान पहुंचा सकता है ऐसे में हमने पर्याप्त सुरक्षा दी है.सरकार की ओर से कहा गया कि हमने हाईकोर्ट में जमानत का विरोध किया था और इस गंभीर मामले में जमानत नही दी जानी चाहिए थी.

सुनवाई में गवाह पर हमले का हुआ जिक्र

वही याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने अदालत में जमानत रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट में साफ बताया गया था कि आशीष मिश्रा ने लोगों पर गाड़ी चढ़ाई, लेकिन हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए कह दिया कि गोली चलने के सबूत नहीं हैं. अधिवक्ता ने कहा कि मंत्री अजय मिश्रा धमकी दे रहे थे. 

उपमुख्यमंत्री का यात्रा मार्ग बदलने के बावजूद आरोपी उस रास्ते पर गया जिस पर किसान थे. अधिवक्ता दवे ने 10 फरवरी को इस मामले से जुड़े एक गवाह पर हुए हमले का भी जिक्र किया. जिस पर सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि यह होली के दौरान हुआ झगड़ा था, गवाह को जान से मारने की धमकी मिली थी.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर ये कहा 

मामले की सुनवाई कर रहे सीजेआई एन वी रमन्ना की बैंच ने कहा कि हाई कोर्ट पोस्टमॉर्टम जैसी बातों पर क्यों गए. यह जमानत का मामला है. केस के मेरिट पर इतनी लंबी चर्चा की जरूरत नहीं थी. कोर्ट ने कहा कि क्या जमानत से पहले पीड़ितों को सुना गया? जिस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि पीड़ितों को बिना सुने ही कोर्ट ने IPC 302 के मामले में आसानी से जमानत दी गयी है.

सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा के अधिवक्ता से पूछा कि ऐसे संगीन मामले में आपको जमानत की क्या जल्दी थी? जिस पर आशीष मिश्रा की ओर से कहा गया कि क्योंकि मेरा केस यही है कि मैं घटनास्थल पर नहीं था बल्कि गांव में था, जहां दंगल हो रहा था. SIT सीसीटीवी के आधार पर कह रही है कि मैं पैदल चलते हुए 7 मिनट में घटनास्थल से 2.8 किमी दूर अपने गांव पहुंच गया. क्या यह संभव है?

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है.

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