कर्नाटक विधायक अयोग्य ही रहेंगे लेकिन फिर भी उपचुनाव लड़ने के अधिकारी: सुप्रीम कोर्ट

कर्नाटक में अयोग्य विधायकों पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक मूल्यों की बातों पर खूब जोर दिया और तत्कालीन स्पीकर को लताड़ा भी. इसके साथ ही अयोग्य विधायकों को कम से कम अदालत ने उपचुनाव लड़ने की इजाजत दे कुछ राहत की सांस दी है. 

Last Updated : Nov 13, 2019, 12:24 PM IST
    • 3 बेंच की जज ने सुनाया फैसला
    • वकील ने कहा इस्तीफे का नहीं हुआ परीक्षण
कर्नाटक विधायक अयोग्य ही रहेंगे लेकिन फिर भी उपचुनाव लड़ने के अधिकारी: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: कर्नाटक में सरकार गिरने के बाद कम से कम कांग्रेस व जेडीएस के लिए राहत भरी खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस और जेडीएस के 17 अयोग्य विधायकों की याचिका पर फैसला सुनाया. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सभी 17 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने का फैसला सही है. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि बावजूद उनके ये विधायक उपचुनाव में भाग ले सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि स्पीकर के पास यह अधिकार नहीं है कि वह विधायकों को उपचुनाव में उतरने से भी रोके. 

3 बेंच की जज ने सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में स्पीकर को खूब लताड़ लगाई और कहा हाल के दिनों में स्पीकर संविधान में लिखित मूल्यों के विपरीत काम करने में ज्यादा लगे हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट के तीन बेंच जस्टिस एनवी रामना, संजीव खन्ना और कृष्णा मुरारी ने कहा कि कर्नाटक में विधायकों को एंटी-डिफेक्शन कानून के तहत अयोग्य घोषित किया जाने का फैसला सही था लेकिन उनसे चुनाव लड़ने का हक नहीं छीना जा सकता. इस मामले पर 17 निरस्त विधायकों ने वकील कपिल सिब्बल और राजीव धवन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी. इससे पहले अदालत ने सभी पक्षों को 25 अक्टूबर तक चली सुनवाई में सुन लिया था और फैसले को सुरक्षित रख लिया था. 

वकील ने कहा इस्तीफे का नहीं हुआ परीक्षण

मामले की पेशी के दौरान वकील कपिल सिब्बल ने वकील राजीव धवन के दलील की वकालत की. राजीव धवन ने कहा कि स्पीकर को इस्तीफे की पेशी के बाद उसका पहले अच्छे से परीक्षण करना होता है. कपिल सिब्बल ने कहा कि इस बिंदु पर अभी तक किसी भी कोर्ट में परीक्षण नहीं किया गया. अदालत ने पूरे मामले की सुनवाई और फैसले के दौरान स्पीकर के अधिकारों पर खूब जोर दिया और कहा कि संवैधानिक मूल्यों का ध्यान रखना जरूरी है. 
अदालत में अय़ोग्य घोषित किए गए विधायकों की दलील थी कि तत्कालीन स्पीकर ने परीक्षण भी नहीं किया कि वे विधायक स्वेच्छा से बिना किसी दबाव के इस्तीफा दे रहे हैं. बस उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया. 

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