पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग के हक में सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल मदरसा आयोग को वैध बताते हुए हरी झंडी दिखाई. कोलकाता हाईकोर्ट ने मदरसा सेवा कानून 2008 को संविधान का उल्लंघन बताते हुए रद्द कर दिया था.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 6, 2020, 11:50 AM IST
    • 2008 में मदरसा सेवा आयोग को ठहराया था अवैध
    • सुप्रीम कोर्ट ने दिखाया हरी झंडी
पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग के हक में सुप्रीम कोर्ट का फैसला

कोलकाता: पश्चिम बंगाल मदरसा आयोग को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से हरी झंडी मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट का यह अंतरिम आदेश है. अब सरकारी अनुदान पाने वाले मदरसों में शिक्षक की नियुक्ति राज्य सरकार की तरफ से बनाया गया आयोग कर सकेगा. 

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क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कि मदरसा के संचालक इसका विरोध कर रहे थे. कोलकाता हाईकोर्ट ने नियुक्ति पर यह कहते हुए रोक लगाई थी कि पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग असंवैधानिक और गैर कानूनी है.  दरअसल, कोलकाता हाईकोर्ट ने मदरसा सेवा कानून 2008 को संविधान के अनुच्छेद 30 का उल्लंघन बताते हुए रद्द कर दिया था. जिसके बाद आयोग के जरिए नियुक्त हुए शिक्षकों और राज्य सरकार ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. क्योंकि मदरसा संचालकों ने विरोध करते हुए यह आरोप लगाया कि यह अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के प्रबंधन अधिकार का हनन किया जा रहा है. 

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सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने आज मदरसा सेवा कानून को वैध ठहराया है. बता दें कि इससे पहले साल 2014 में बोर्ड ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परिणामों की घोषणा की थी, जिसमें 2,600 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति की जानी थी लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस पर रोक लगा दी गई थी. अनुमान है कि अब परीक्षा में उत्तीर्ण शिक्षकों की भर्ती जल्द से जल्द की जाएगी.

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