नई दिल्ली: तबलीगी जमात को लेकर इन दिनों फिर से चर्चा गरमा गई है. तबलीगी जमात आतंकवाद का द्वार खोलने का काम करता है ऐसा दावा सऊदी अरब की सरकार ने किया और फिर देखते ही देखते हर तरफ हो-हल्ला मचना शुरू हो गया. कोई सऊदी अरब की सरकार को कोसने में जुटा हुआ है तो कोई भारत में भी इसे बैन करने की मांग कर रहा है. लेकिन इन सबके बीच ये समझना जरूरी है कि आखिर क्या सचमुच तबलीगी जमात का कोई आतंकवाद कनेक्शन है या फिर ये सब मात्र सुने-सुनाए दावे हैं.
तबलीगी जमात का 'अलकायदा कनेक्शन'
इसकी पूरी कहानी का सच समझने के लिए 10 साल पहले की यादें खंगालनी होंगी. दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात को लेकर उस वक्त ऐसी जानकारी सामने आई थी कि हर कोई ये सोचने को मजबूर हो गया था कि इस जमात का काम धर्म का प्रचार प्रसार करना है या इसकी आड़ में आतंकवादी संगठनों को मदद मुहैया कराना है.
वर्ष 2011 में मीडिया रिपोर्ट्स में विकीलीक्स के दस्तावेजों से ये खुलासा किया गया था कि तबलीगी जमात के आतंकवादी संगठन अलकायदा से संबंध रहे हैं. इन दस्तावेजों के हवाले से ये कहा गया था कि अलकायदा के कुछ गुर्गों ने पाकिस्तान की यात्रा के लिए वीजा प्राप्त करने के लिए इस जमात की मदद ली थी, यानी इसका इस्तेमाल किया था.
आतंकी संगठन अलकायदा के कम से कम तीन गुर्गों, जिनमें एक सोमालियाई फाइनेंसर और एक सुडानी भर्तीकर्ता शामिल था, उसने 'जिहाद' छेड़ने की अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए तबलीगी जमात (टीजे) का इस्तेमाल किया.
तबलीगी सदस्य के तौर पर आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के सुडानी सदस्य हामिर मोहम्मद ने भी पाकिस्तान का वीजा लेने की कोशिश की थी. वहीं सोमालिया के मोहम्मद सुलेमान बारे ने भी भारत से पाकिस्तान जाने के लिए यही तरीका अपनाया था.
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बात इतने पर ही खत्म नहीं होती, कहा तो यहां तक जाता है कि बोस्निया हर्ज़ेगोविना में अलकायदा के कमांडर अबु ज़ुबैर अल हैली भी इसी जमात की मदद से बोस्निया से पाकिस्तान पहुंचा था. इसके अलावा कई देशों की वाच लिस्ट में शामिल सऊदी नागरिक अब्दुल बुखारी निजामुद्दीन की तबलीगी मरकज आने में कामयाब रहा था.
जब ग्लास्गो एयरपोर्ट अटैक से जुड़ा जमात का नाम
30 जून 2007 यही वो तारीख थी जब स्कॉटलैंड के ग्लास्गो एयरपोर्ट पर हुआ हमला था. इस हमले की कोशिश के आरोप में एक संदिग्ध भारतीय नागरिक कफील अहमद को गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त भी ऐसे दावे किए गए थे कि इस शख्स के तार निजामुद्दीन के तबलीगी जमात से जुड़े थे.
इसके अलावा 7/7 बॉम्बर्स के दो संदिग्ध शहजाद तनवीर और मोहम्मद सिद्दीकी खान ने भी इंग्लैंड के Dewsbury के तबलिगी मस्जिद में नमाज पढ़ी थी. हालांकि इस मामले में उनके जमात में शामिल होने की बात साबित नहीं हुई थी, लेकिन संदेह की सुई जरूर इस ओर अटक गई थी.
तबलीगी जमात को लेकर भारत में मची हाय-तौबा
His Excellency the Minister of Islamic Affairs, Dr.#Abdullatif Al_Alsheikh directed the mosques' preachers and the mosques that held Friday prayer temporary to allocate the next Friday sermon 5/6/1443 H to warn against (the Tablighi and Da’wah group) which is called (Al Ahbab)
— Ministry of Islamic Affairs (@Saudi_MoiaEN) December 6, 2021
इस बार तबलीगी जमात की ये कुंडली उस वक्त सवालों के घेरे में आई जब सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन कहे जाने वाले तबलीगी जमात पर सऊदी अरब ने बैन लगाने का फैसला किया.
तारीख थी 6 दिसंबर 2021, समय था शाम के 6 बजकर 51 मिनट.. सऊदी अरब सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ इस्लामिक अफेयर्स के ट्विटर हैंडल से एक के बाद एक लगातार तीन ट्वीट किए गए. तबलीगी जमात को सऊदी अरब सरकार ने आतंकवाद का सबसे बड़ा एंट्री गेट बताते हुए सऊदी अरब की सरकार ने पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया.
ट्वीट में साफ-साफ शब्दों में लिखा हुआ था कि मस्जिद के मौलवियों और इमाम को निर्देश दिया जाता है कि वो तबलीगी और द वाह ग्रुप (the Tablighi and Da’wah group) जिसे अल हबाब (Al Ahbab)कहा जाता है, इसके खिलाफ लोगों को जागरूक करें.
इसमें साफ-साफ लिखा है कि 'ये संगठन समाज के लिहाज से खतरनाक हैं और देश में आतंकवाद के द्वार खोलने का काम करता है.' इन दोनों ट्वीट को देख कर मामले की गंभीरता को समझा जा सकता है, लेकिन सऊदी अरब में तबलीगी जमात पर बैन लगा तो भारत में दर्द होने लगा. यूं कहे कि इस जमात का मुख्यालय दिल्ली में ही है, ऐसे में जमात के 'फैंस' बुरा मान गए. कई लोगों ने इसका विरोध किया.
3- Mention their danger to society.
4- Statement that affiliation with partisan groups, including (the Tablighi and Da’wah Group) is prohibited in the Kingdom of Saudi Arabia.— Ministry of Islamic Affairs (@Saudi_MoiaEN) December 6, 2021
सऊदी में बैन, भारत में तेज हो गया विरोध
इस जमात को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, भारी तादाद में लोग इसके समर्थक हैं. ये भी एक बड़ी वजह है कि लगातार लोग भारत में इसके लिए आवाद उठा रहे हैं. इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने भी इस प्रतिबंध पर ऐतराज जताया है. मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि अपने इस फैसले पर सऊदी अरब सरकार को फिर से विचार करना चाहिए, क्योंकि तबलीगी जमात पर लगे आरोप बेबुनियादी हैं.
मामला लगातार तूल पकड़ रहा है, भारत में तबलीगी जमात के नेता मुफ्ती अकबर हाशमी ने भी बयान जारी कर सऊदी सरकार की कड़ी निंदा की है. वहीं मुस्लिम कार्यकर्ता जफर सरेशवाला ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मैं सऊदी अरब के फैसले से हैरान हूं, क्योंकि तबलीगी जमात हमेशा से किसी भी चरमपंथी विचार का विरोधी रहा है. जमात ने सभी आधुनिक जिहादी आंदोलनों को अस्वीकार किया है. यहां तक कि तालिबान ने भी कई बार तबलीगी जमात के खिलाफ बात की है.
कोई कितना भी विरोध करे, ये तो सऊदी सरकार ही जानती है कि ऐसी कौन सी खुफिया जानकारी उसके हाथ लगी थी, जो उसे इतना सख्त कदम उठाना पड़ा. कोई भी इस फैसले के बाद ये सोचने पर मजबूर हो सकता है कि तबलीगी जमात का काम धर्म का प्रचार प्रसार करना है या आतंकवादी संगठनों से कनेक्शन रखना.
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