अनुच्छेद 370 के खात्मे का दिखने लगा असर, आतंकी घटनाओं में करीब 36% की गिरावट

लोग कहते हैं कि हिन्दुस्तान में कहीं स्वर्ग है तो वो जगह कश्मीर है. लेकिन आतंक की चपेट में आकर ये स्वर्ग दहशतगर्दी का अड्डा बन चुका था. अनुच्छेद 370 के खात्मे को 1 साल पूरे होने वाले हैं, जिसका असर देखा जाने लगा है. 370 के खात्मे से कश्मीर में आतंक की कमर टूट गई है..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 29, 2020, 12:29 PM IST
    • जानिए, घाटी में कैसे टूटी आतंक की कमर?
    • कश्मीर में सुरक्षा हालात पहले से हुए बेहतर
अनुच्छेद 370 के खात्मे का दिखने लगा असर, आतंकी घटनाओं में करीब 36% की गिरावट

नई दिल्ली: 5 अगस्त के बाद घाटी में हिंसा में कमी आई हैं. आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कामयाबियां मिली हैं. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 370 हटने के बाद आतंकवाद की घटनाओं में करीब 36% की गिरावट आई है.

अनुच्छेद 370 हटने का कश्मीर में दिखने लगा असर

पिछले साल (जनवरी से 15 जुलाई तक) घाटी में कुल 188 आतंकवाद से जुड़ी घटनाएं हुई हैं, वहीं इस साल इसी अवधि में 120 आतंकी घटनाएं हुई. वहीं इस अवधि में 2019 में 126 आतंकी मारे गए, जबकि इस साल इसी अवधि में 136 आतंकियों का खात्मा हुआ. पिछले साल 51 ग्रेनेड हमले हुए वहीं इस साल 15 जुलाई तक 21 ग्रेनेड हमले हुए.

पिछले साल आतंकी हमलों में 23 आम नागरिक मारे गए वहीं 75 सुरक्षबलों के जवान शहीद हुए, वहीं इस साल 22 आम नागरिक मारे गए और 35 जवान शहीद हुए.

अगर IED हमलों की तुलना करें तो इस अवधि में पिछले साल 6 IED हमले हुए, वहीं इस साल 15 जुलाई तक केवल 1 IED हमला हुआ.

अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंक की कमर तोड़ी

मारे गए आतंकियों में 110 स्थानीय आतंकी थे और बाकी पाकिस्तान से थे. मारे गए आतंकियों में सबसे अधिक 50 से ज्यादा आतंकी हिज़्बुल मुजाहिद्दीन के हैं, लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद से करीब 20-20 आतंकी शामिल हैं और वहीं ISJK और अंसार गज़वात-उल-हिन्द के 14 आतंकी शामिल हैं.

इस एक साल में सुरक्षाबलों को मिली कामयाबी में हिज़्बुल मुजाहिद्दीन का कमांडर रियाज़ नाइकू, लश्कर का कमांडर हैदर, जैश का कमांडर कारी यासिर और अंसार गज़वात-उल-हिन्द का बुरहान कोका भी मारा गया.

इसके अलावा 22 आतंकी और करीब उनके 300 मददगार गिरफ्तार किए गए. इस एक साल में 22 आतंकी ठिकानों का पता लगाया गया और करीब 190 हथियार पकड़े गए जिसमें अधिकतर AK-47 शामिल हैं.

इतना ही नहीं स्थानीय युवाओं के आतंकी संगठनों में शामिल होने में भी 40% की कमी आयी है, इस साल केवल 67 युवाओं को बरगला कर आतंक की राह पर भेजा गया.

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वहीं आतंकवाद और हिंसा को बढ़ावा देने वाली हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को भी इसी साल करार झटका लगा जब उसके नेता सैयद अली शाह गिलानी ने खुद को हुर्रियत कांफ्रेंस से अलग किया.

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