बिहार के जेलों में कैदी सजा से नहीं एचआईवी से मर जाएंगे !

कैदी अपने गुनाहों की सजा काटने के लिए जेलों में भेजे जाते हैं, लेकिन कैदियों के लिए ये जेल उनकी सजा से भी ज्यादा महंगी साबित होने लगी है. यह इसलिए कि जेल प्रशासन की ओर से बिहार में कैदियों की स्वास्थ्य जांच कराई गई जिसके परिणाम काफी डराने वाले हैं. बिहार के जेलों में बंद कैदियों की जांच में ज्यादातर एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 1, 2019, 07:47 AM IST
    • बिहार की जेलों में फैला एचआईवी वायरस
    • जेल आईजी ने कहा कैदियों की कराएंगे काउंसलिंग
    • एचआईवी पॉजिटिव के आंकड़ें बढ़ रहे बिहार में
    • गर्भवती महिलाओं की बढ़ती जा रही है परेशानी

ट्रेंडिंग तस्वीरें

बिहार के जेलों में कैदी सजा से नहीं एचआईवी से मर जाएंगे !

पटना: बिहार में जेलों की स्थिति इतनी बुरी हो गई है कि सजा काट रहे कैदी तक सुरक्षित नहीं हैं. जब स्वास्थ्य जांच किया गया तो पता चला कि एचआईवी पॉजिटिव कैदियों की भरमार है. जेल प्रशासन अब इस बात की जांच में लग गई है कि ये एचआईवी का वायरस कैदियों को जेल में आने के बाद हुआ या फिर जेल आने से पहले ही कैदी संक्रमित थे. लेकिन यह भी है कि सारे कैदी जो जेल में बंद हैं, वह पहले से तो संक्रमित हो कर आए नहीं होंगे. इस नए खुलासे के बाद जेल प्रशासन मुस्तैदी से हर कैदी की अलग प्रोफाईल तैयार करने में जुट गया है. साथ ही एचआईवी संक्रमित कैदियों की काउंसलिंग करने की तैयारी भी की जा रही है. 

बिहार की जेलों में फैला एचआईवी वायरस

अब बिहार में कैदियों की जान पर बन आई है. अपने गुनाहों की सजा काटने जेल पहुंचे कैदी उससे भी ज्यादा बड़ी मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं. दरअसल बिहार की जेलों में एचआईवी की वायरस काफी तेजी से फैल रहा है. पिछले दिनों जेल प्रशासन की ओर से कैदियों की स्वास्थ्य जांच कराई गई, जिसमें कई कैदियों में एचआईवी पॉजिटिव के लक्षण पाए गये. 

सूबे में कुल 59 छोटे-बड़े जेल हैं. इन जेलों में तकरीबन 40 हजार कैदी रखे जा सकते हैं. फिलहाल जेलों में 38 हजार कैदी बंद हैं. जेल प्रशासन की ओर से अबतक 4 हजार कैदियों के स्वास्थ्य की जांच कराई गई है, जिसमें 2 प्रतिशत कैदियों में एचआईवी पॉजिटिव पाए गये हैं जेल प्रशासन अगले दो तीन महीनों में 34 हजार कैदियों के स्वास्थ्य जांच कराने की तैयारी कर रहा है.

जेल आईजी ने कहा कैदियों की कराएंगे काउंसलिंग

सवाल यह है कि आखिर जेल के अंदर कैदियों को एचआईवी की बीमारी हुई कैसे ? पहले से ही इस संक्रामक बीमारी के साथ आए थे या जेल पहुंच कर कुछ ऐसा हुआ कि यह फैलने लगी?  इसका जवाब बिहार के जेल आईजी मिथिलेश मिश्रा ने दिया.

उन्होंने कहा कि कैदियों में एचआईवी पॉजिटिव के लक्षण पाए गये हैं. हमारी कोशिश है कि हर कैदी का अब प्रोफाईल बनाएं. ताकि संक्रमित कैदी पर विशेष निगरानी हो सके. इसके साथ ही उसका इलाज कराया जा सके. संक्रमित कैदियों की काउंसलिंग भी कराई जाएगी. इससे यह पता चल सकेगा कि उन्हें संक्रमण जेल के अंदर हुआ या फिर वो पहले से ही संक्रमित थे. 

दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश के जेल आईजी ने में अप्राकृत्तिक यौनाचार की घटना से भी इन्कार नहीं किया है. जेल के कैदियों में एचआईवी की जांच बिहार एड्स कंट्रोल सोसायटी के सहयोग से कराई गई थी. सोसायटी के एडिशनल प्रोजक्ट डायरेक्टर डॉ. अभय प्रसाद कहते हैं कि जेल के हालात ऐसे हैं कि वहां अप्राकृतिक यौनाचार की घटना से इन्कार नहीं किया जा सकता.

एक छोटे से बंद जगह पर हर तबके के कैदी कैद हैं. गंदगी के माहौल में वायरस का प्रकोप फैलना कोई बड़ी बात नहीं. अमूमन कैदियों को टीबी की बीमारी हो ही जाती है और टीबी के मरीजों में एचआईवी फैलने की संभावना भी बढ़ जाती है. यहीं कारण है कि दोनों की समाप्ति को एक साथ चलाने का फैसला लिया गया है.

एचआईवी पॉजिटिव के आंकड़ें बढ़ रहे बिहार में 

बात अगर पूरे प्रदेश की करें तो बिहार में एड्स का प्रकोप तो लगातार बना ही हुआ है. साल 2019 के अप्रैल महीने से ले कर अब तक जांच के दौरान 5321 एचआईवी पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष खत्म होते-होते एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या 11 हजार के आसपास पहुंच न पहुंच जाए.
 
साल 2018-19 में 11 हजार मरीज पॉजिटिव पाए गए थे. वहीं साल 2017-18 में 11 हजार 56 एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की पहचान हुई थी. जबकि 2016-17 में 10 हजार 771 मरीज पॉजिटिव पाए गए. बीते पांच सालों में बिहार में कुल 59 हजार 562 एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की पहचान हुई है, जो बहुत बड़ी संख्या है.

गर्भवती महिलाओं की बढ़ती जा रही है परेशानी

बिहार एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बताते हैं कि "80 प्रतिशत मामलों में एड्स की वजह असुरक्षित यौन संबंध ही है. इसके अलावा इंजेक्शन के जरिए नशा करना भी एड्स की बडी वजह बनकर सामने आया है.

बिहार में इस वर्ष के शुरुआती छह महीने में 475 गर्भवती महिलाओं में एचआईवी के लक्षण पाए गये हैं. हमारी कोशिश है कि एड्स को नियंत्रित करने के लिए युवाओं को जागरूक किया जाए खासकर लड़कियों की. साथ ही जिन गर्भवती महिलाओं में एड्स के लक्षण पाए गये हैं उनका ट्रीटमेंट तत्काल शुरू कर दिया जाए ताकि बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सके.  
 

ज़्यादा कहानियां

ट्रेंडिंग न्यूज़