Pahalgham Terror Attack: जम्मू-कश्मीर से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई. दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार दोपहर 2:30 बजे हुए आतंकी हमले में कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई. हमले में करीब 12 से अधिक लोग घायल भी हैं. घटना की तमाम तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं. जिनमें बताया जा रहा, पहले आतंकियों ने नाम पूछा, उसके बाद पर्यटकों को गोली मार दी. दी फर्स्टपोस्ट के मुताबिक, इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front - TRF) नामक आतंकी संगठन ने ली है, जो पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का सहयोगी गुट है. आइए इस आतंकी संगठन का पूरा काला-चिट्ठा जानते हैं. इसका नाम कैसे पड़ा और इसका लश्कर ए तैयबा से क्या कनेक्शन है.
पहलगाम आतंकी हमले में 27 की मौत
दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार दोपहर 2:30 बजे एक भयावह आतंकी हमला हुआ. अज्ञात हमलावरों ने सैलानियों पर अचानक गोलियां चलाईं, जिससे कम से कम 27 लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए. यह हमला ऐसे समय हुआ जब घाटी में धीरे-धीरे ही सही, पर देश-विदेश से पर्यटक आ रहे थे.
हमले की सूचना मिलते ही जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया और घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस घटना पर गहरा दुख जताया और कहा, ‘यह हमला हमारे मेहमानों पर किया गया अमानवीय कृत्य है.’
आतंकी संगठन TRF ने ली जिम्मेदारी
हमले के कुछ घंटों बाद, एक बयान जारी कर द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. इस संगठन ने कहा कि ‘हमने पहले ही स्थानीय और बाहरी लोगों को गैरकानूनी प्रोजेक्ट्स में शामिल होने पर चेतावनी दी थी.’ यह बयान TRF के सोशल मीडिया नेटवर्क पर साझा किया गया.
घटना के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बात कर घटनास्थल का जायजा लेने को कहा.
क्या है आतंकी गुट TRF?
TRF यानी द रेसिस्टेंस फ्रंट, लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा है, जिसे 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद बनाया गया. इसका मकसद कश्मीर में चल रहे आतंकी नेटवर्क को नया नाम देकर अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचाना था. इस संगठन की स्थापना साजिद जट्ट, सज्जाद गुल और सलीम रहमानी जैसे LeT से जुड़े आतंकियों ने की थी.
TRF का नाम जानबूझकर ऐसा रखा गया जिससे इसे एक ‘जन आंदोलन की आवाज’ के रूप में पेश किया जा सके, न कि एक इस्लामी आतंकी संगठन के रूप में. इसका मकसद कश्मीर में हिंसा को घरेलू आंदोलन की तरह पेश करना रहा है.
क्या है TRF के काम करने का तरीका?
TRF मुख्य रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे टेलीग्राम, फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया पर एक्टिव है. ये प्लेटफॉर्म्स TRF के लिए प्रचार, कट्टरता फैलाने और नई भर्ती में मदद करते हैं. कई बार यह संगठन मीडिया संस्थानों को धमकाकर अपने संदेश फैलाता है. ताकि लोगों के बीच इस आतंकी गुट का दहशत बना रहे.
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, TRF नाम इसलिए अपनाया गया ताकि पाकिस्तान FATF की निगरानी से बच सके. इसके जरिए आतंक को धार्मिक रंग देने की बजाय, राजनीतिक विरोध जैसा रूप देने की कोशिश की गई है.
TRF की ट्रेनिंग कहां होती है?
TRF (द रेसिस्टेंस फ्रंट) की ट्रेनिंग पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के कुछ सीमावर्ती इलाकों में होती है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, लश्कर-ए-तैयबा के पुराने ठिकानों का इस्तेमाल TRF के आतंकियों की ट्रेनिंग के लिए किया जाता है. इन कैंपों में हथियार चलाने, बारूदी विस्फोटक बनाने, घुसपैठ के तरीके, सीक्रेट कम्युनिकेशन की ट्रेनिंग दी जाती है.
इसके अलावा, कुछ आतंकियों को अफगान-पाक सीमा क्षेत्र में भी ट्रेनिंग दी जाती है, जहां उन्हें फिदायीन और साइबर वारफेयर की टेक्निक सिखाई जाती हैं. सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स (मैसेज को कोई और नहीं पढ़ सकता) के जरिए इनको गाइड किया जाता है, ताकि जम्मू-कश्मीर में बैठे सहयोगियों से सीधा संपर्क बना रहे. यही वजह है कि कई दफा यह सुरक्षा एजेंसियों के हाथों से बच निकलते हैं.
इन घटनाओं में शामिल रहा TRF
TRF ने सबसे पहले 2020 में आतंकी हमलों की जिम्मेदारी लेनी शुरू की. चाहे हमले लश्कर, जैश या हिजबुल ने किए हों, दावा TRF करता रहा है. 2024 में गंदरबल के Z-मोर्ह टनल हमले की जिम्मेदारी भी इसी संगठन ने ली थी.
इसके अलावा, सोपोर और कुपवाड़ा में TRF से जुड़े ओवरग्राउंड वर्कर्स की गिरफ्तारी के दौरान हथियारों का जखीरा मिला था. रिपोर्ट के मुताबिक, कई पत्रकारों को भी TRF की धमकी के कारण इस्तीफा देना पड़ा था. बता दें, केंद्र सरकार ने 2023 में इसे UAPA एक्ट के तहत प्रतिबंधित आतंकी संगठन घोषित कर दिया था.
ये भी पढ़ें- आतंकी हमले से एक बार फिर दहला जम्मू-कश्मीर, पिछले 10 सालों में इन 5 बड़े हमलों ने देश को झकझोरा!
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.