UNESCO का खुलासा- स्कूल बंद रहने से लड़कियों को ज्यादा नुकसान, जानिए वजह

कोरोना काल में स्कूल बंद रहने के विषय पर यूनेस्को ने अहम स्टडी की जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 21, 2021, 06:22 PM IST
  • लैंगिक समानता को सबसे ज्यादा नुकसान
  • अलग अलग तरह से प्रभावित हुए लड़के- लड़की
UNESCO का खुलासा- स्कूल बंद रहने से लड़कियों को ज्यादा नुकसान, जानिए वजह

नई दिल्ली: कोरोना काल में दुनियाभर के स्कूल कॉलेज लंबे समय तक बंद रहे. अब धीरे धीरे जनजीवन सामान्य हो रहा है और छात्रों ने स्कूल जाना भी शुरू कर दिया है. 

देश की ज्यादातर राज्य सरकारों ने स्कूल कॉलेज खोलने के आदेश दे दिए हैं. कोरोना काल में स्कूल बंद रहने के विषय पर यूनेस्को ने अहम स्टडी की जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. 

लैंगिक समानता को सबसे ज्यादा नुकसान

यूनेस्को की रिसर्च में कहा गया है कि दुनियाभर में स्कूलों के लंबे समय तक बंद रहने के कारण शैक्षणिक व्यवधान न केवल सीखने पर खतरनाक प्रभाव डालेगा, बल्कि लैंगिक समानता के लिए भी खतरा पैदा करेगा. स्कूल बंद होने से लड़कियों को सबसे ज्यादा नुकसान होने का अनुमान व्यक्त किया गया है. 

अध्ययन में बताया गया है कि लड़के किसी न किसी काम से बाहर निकलकर इंटरनेट की समस्या से निजात पा सकते थे लेकिन ग्रामीण इलाकों में लड़कियों के लिए ये व्यवस्था नहीं थी. 

अलग अलग तरह से प्रभावित हुए लड़के- लड़की

‘‘जब स्कूल बंद होते हैं: कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने का लैंगिक प्रभाव’’ शीर्षक वाला वैश्विक अध्ययन इस बात को सामने लाता है कि लड़कियां और लड़के, युवा महिलाएं और पुरुष शैक्षणिक संस्थान बंद होने से अलग-अलग तरीके से प्रभावित हुए.

यूनेस्को की शिक्षा के लिए सहायक महानिदेशक स्टेफानिया गियानिनी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के चरम दिनों में 190 देशों में 1.6 अरब छात्र स्कूल बंद होने से प्रभावित हुए. उन्होंने न केवल शिक्षा तक पहुंच खो दी, बल्कि वे स्कूल जाने के कई लाभों से भी वंचित हो गए.

उन्होंने कहा, ‘‘इस हद तक शैक्षणिक व्यवधान का सीखने की क्षमता और स्कूल छोड़ने वालों पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा, यह लैंगिक समानता के लिए भी खतरा पैदा करता है, जिसमें स्वास्थ्य, तंदुरूस्ती और सुरक्षा पर प्रभाव शामिल हैं जो विशिष्ट रूप से लैंगिक हैं.’’

90 देशों से जुटाई गई जानकारी

लगभग 90 देशों के साक्ष्य और स्थानीय समुदायों से एकत्र किए गए गहन आंकड़ों के आधार पर तैयार रिपोर्ट से पता चलता है कि लैंगिक मानदंड और अपेक्षाएं दूरस्थ शिक्षा में भाग लेने और लाभ उठाने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं. अध्ययन में बताया गया है कि डिजिटल आधार पर लैंगिक विभाजन कोविड-19 संकट से पहले से ही एक चिंता का विषय था.

रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक रिपोर्ट में बांग्लादेश और पाकिस्तान पर गहन अध्ययन ने स्कूल बंद होने के दौरान दूरस्थ शिक्षा पर इसके लैंगिक प्रभावों का खुलासा किया. 

पाकिस्तान पर किए गए अध्ययन में, प्रतिभागी जिलों में केवल 44 प्रतिशत लड़कियों ने अपने निजी इस्तेमाल के लिए मोबाइल फोन रखने की सूचना दी, जबकि 93 प्रतिशत लड़कों के पास मोबाइल फोन थे. जिन लड़कियों के पास मोबाइल फोन नहीं था, उन्होंने बताया कि वे अपने रिश्तेदारों, आम तौर पर अपने पिता के मोबाइल फोन पर आश्रित हैं.

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रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियां जितनी लंबी अवधि तक स्कूल से बाहर थीं, सीखने के नुकसान का जोखिम उतना ही अधिक था. ऐसी लड़कियों की संख्या एक से 10 प्रतिशत तक बढ़ गई जिन्होंने अप्रैल से सितंबर 2020 तक बिल्कुल भी अध्ययन नहीं किया. रिपोर्ट में ऑनलाइन पठन-पाठन में भागीदारी के लिए लिंग आधारित बाधाओं को दूर करने के लिए कई कदम भी सुझाए गए हैं. 

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