UP में नहीं मिला सिलेंडर तो सीधे पीपल के पेड़ से ऑक्सीजन लेने पहुंचे कोरोना संक्रमित

कोविड पॉजिटिव घोषित हो चुके दो परिवारों के लगभग 6 लोग अब ऑक्सीजन की जरूरत पूरी करने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे लेटे हैं. पेड़ के नीचे पड़ी महिलाओं में से एक उर्मिला कहती हैं, मुझे सांस लेने में समस्या हो रही थी और ऑक्सीजन या ऑक्सीजन का कोई सहारा नहीं था.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 2, 2021, 02:55 PM IST
  • शाहजहांपुर के दो परिवारों के लोग पीपल के पेड़ के नीचे लेटे
  • ऑक्सीजन नहीं मिली तो सीधे पेड़ के नीचे ही जा लेटे मरीज
UP में नहीं मिला सिलेंडर तो सीधे पीपल के पेड़ से ऑक्सीजन लेने पहुंचे कोरोना संक्रमित

शाहजंहापुर: कोरोना के बढ़ते संक्रमण और लगातार बीमार होते लोगों के बीच जहां अस्पताल और ऑक्सीजन के लिए मारा-मारी है, वहीं उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक अलग ही नजारा दिखा. सामने आया कि शाहजहांपुर के बहादुरगंज क्षेत्र में लोग कोविड पॉजिटिव होने के बाद पीपल के पेड़ के पास जुट रहे हैं.

पीड़िता ने कहा, बेहतर महसूस कर रहीं
कोविड पॉजिटिव घोषित हो चुके दो परिवारों के लगभग 6 लोग अब ऑक्सीजन की जरूरत पूरी करने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे लेटे हैं. पेड़ के नीचे पड़ी महिलाओं में से एक उर्मिला कहती हैं, मुझे सांस लेने में समस्या हो रही थी और ऑक्सीजन या ऑक्सीजन का कोई सहारा नहीं था.

किसी ने मुझे बताया कि पीपल का पेड़ ऑक्सीजन निकालता है और मेरा परिवार मुझे यहां लेकर आया है. बेहतर महसूस कर रही हूं और सांस लेने में भी दिक्कत नहीं है. 

मरीजों को देखने उमड़े लोग
दरअसल, यहां चार-पांच लोगों को सांस लेने में जब दिक्कत हुई तो उन्होंने आकसीजन सिलेंडर ढूंढना शुरू किया, लेकिन वह मिला नहीं. किसी ने बता दिया कि पीपल के पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं, इसके बाद 5 से मरीज अपने तीमारदारों के साथ एक पीपल के पेड़ के नीचे लेट गए, इसके बाद तमाम लोग पीपल के पेड़ के नीचे लेटे मरीजों को देखने के लिए उमड़ पड़े.

अस्पताल में शिफ्ट होने से किया मना
भारतीय जनता पार्टी के विधायक रोशनलाल वर्मा ने इलाके में पहुंचकर लोगों से मुलाकात की. स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गुस्सा व्यक्त करते हुए, उन्होंने शनिवार को जिला अधिकारियों को फोन किया और उन्हें अस्पतालों में मरीजों को स्थानांतरित करने के लिए कहा.

हालांकि, उर्मिला ने कहा कि चूंकि वह पीपल के पेड़ के नीचे बेहतर महसूस कर रही थीं, इसलिए वह अस्पताल में शिफ्ट नहीं होना चाहती थीं.

उसके परिवार के सदस्य ने कहा, हमें बताया गया था कि पीपल अधिकतम ऑक्सीजन देता है. चूंकि कोई विकल्प नहीं बचा था, हम अपनी चाची को यहां ले आए और वह काफी हद तक ठीक हो गई. क्या मायने रखता है कि वह सुधर रही है और उसे ऑक्सीजन समर्थन की आवश्यकता नहीं है. हमें परवाह नहीं है कि लोग क्या कहते हैं. 

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अस्पताल का यह है कहना
इस बीच, लखनऊ के चिकित्सा विशेषज्ञ दावा करते हैं कि प्रभाव शारीरिक से अधिक मनोवैज्ञानिक है. वहीम किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक डॉक्टर ने कहा, यह संभवत ताजा हवा है जो लोगों को सांस लेने में मदद कर रही है.

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