लखनऊः प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को एक ट्रिलियन डॉलर किए जाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व बैंक, एडीबी, आईआईएम कंसल्टेंट फॉर्म्स, पीडब्ल्यूसी के सुझावों का प्रस्तुतीकरण शुक्रवार को देखा. भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने में उत्तर प्रदेश बेहद खास किरदार निभाएगा.
बनेंगी बेहतर पॉलिसी
लोकभवन में आयोजित बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि 5 ट्रिलियन इकॉनमी के लक्ष्य को पाने में यूपी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. इसके लिए जरूरी है कि यूपी एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बने. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में देश की आबादी के करीब 17 फीसदी लोग रहते हैं, लेकिन देश की जीडीपी में इसका हिस्सा सिर्फ आठ फीसदी से कुछ अधिक है. इसी गैप के नाते यहां संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं. इन संभावनाओं के बेहतर फायदे के लिए निवेशक आगे आएं. इसके लिए हर क्षेत्र में नई और बेहतर पॉलिसी बनाई गई हैं.
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कई नेता व प्रतिनिधि रहे मौजूद
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार ने आधारभूत संरचना के विकास, कौशल विकास के जरिये रोजगार पैदा करने जैसे कई कदम उठाए हैं. इन कदमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए दो कैबिनेट और एक उच्चस्तरीय समितियां गठित की गई हैं.
सीएम ने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भी यूपी की रैंकिंग सुधरी है. ढाई साल में प्रदेश के प्रति लोगों का नजरिया बदला है. लोकभवन में हुई बैठक के दौरान कैबिनेट मंत्री सतीश महाना, सिद्धार्थ नाथ सिंह, महेंद्र सिंह, गोपाल टंडन, श्रीकांत शर्मा समेत कई विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, शैक्षणिक संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे.
सरकार की ओर से उठाए जा रहे हैं यह कदम
- संभावनाओं वाले क्षेत्रों की पहचान
- बड़े शहरों के पास औद्योगिक क्लस्टर का विकास
- क्लस्टरों के अनुसार कौशल विकास
- स्थानीय स्तर के शिक्षण संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, इंजिनियरिंग कॉलेज, प्रबंधन संस्थानों का सहयोग और सुझाव
- हर क्लस्टर के लिए एक मेयर या मुख्य कार्यपालक अधिकारी जैसे पद का सृजन
- क्लस्टर के लिए उठाए गए कदमों की मुख्यमंत्री कार्यालय से लगातार निगरानी
- हर लक्ष्य के लिए समयसीमा का निर्धारण
- अगर लक्ष्य नहीं हासिल हुआ तो कमियों को तलाश कर उनको दूर करना
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाना