स्कूल में दलित रसोइये का सवर्ण कर रहे थे विरोध, नौकरी से हटाया गया
उत्तराखंड के चंपावत जिले के एक सरकारी माध्यमिक विद्यालय में मध्याह्न भोजन परोसने वाली दलित समुदाय की महिला को उसकी नौकरी से हटा दिया गया क्योंकि ऊंची जाति के छात्रों ने उसके द्वारा पकाया हुआ खाना खाने से इनकार कर दिया था.
देहरादून: उत्तराखंड के चंपावत जिले के एक सरकारी माध्यमिक विद्यालय में मध्याह्न भोजन परोसने वाली दलित समुदाय की महिला को उसकी नौकरी से हटा दिया गया क्योंकि ऊंची जाति के छात्रों ने उसके द्वारा पकाया हुआ खाना खाने से इनकार कर दिया था.
छात्रों ने किया खाना खाने से इनकार
यह घटना चंपावत जिले के सुखीढांग के एक स्कूल की है. इस महीने की शुरुआत में ‘भोजनमाता’ के रूप में नियुक्ति के एक दिन बाद छात्रों ने महिला की जाति के कारण उनके द्वारा बनाया गया खाना खाना बंद कर दिया और घर से अपना खाना टिफिन बॉक्स में लाना शुरू कर दिया.
बताया जाता है कि स्कूल के 66 छात्रों में से 40 ने दलित समुदाय की महिला द्वारा तैयार खाना खाने से मना कर दिया था. छात्रों के अभिभावकों ने भी ‘भोजनमाता’ के रूप में दलित समुदाय की महिला की नियुक्ति पर आपत्ति जताई थी क्योंकि उच्च जाति की एक महिला ने भी नौकरी के लिए साक्षात्कार दिया था.
महिला को गंवानी पड़ी नौकरी
चंपावत के मुख्य शिक्षा अधिकारी आर सी पुरोहित ने कहा कि महिला की नियुक्ति रद्द कर दी गई क्योंकि यह पाया गया कि नियुक्ति में मानदंडों का पालन नहीं किया गया था.
पुरोहित ने कहा, ‘‘उच्च अधिकारियों ने महिला की नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी थी. फिर भी उन्हें काम दिया गया.’’ उन्होंने कहा कि महिला के स्थान पर किसी दूसरे रसोइये की अस्थायी व्यवस्था की गई है.
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