Vaishno Devi Stampede: क्यों होती है धार्मिक स्थलों पर भगदड़, जानें भारत में कब-कब हुईं तीर्थ स्थलों पर बड़ी दुर्घटनाएं

Vaishno Devi Stampede: जम्मू-कश्मीर स्थित माता वैष्णो देवी भवन में 31 दिसंबर यानी शुक्रवार रात 2.45 पर भगदड़ मच गई. इस दुखद हादसे में 12 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है. जबकि 20 लोग घायल हो गए.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 1, 2022, 08:50 AM IST
  • 26 जून, 2005 को महाराष्ट्र में मची भगदड़ में 350 लोग मरे थे
  • अगस्त 2003 नासिक में कुम्भ मेले में 125 लोगों की मौत हुई थी
Vaishno Devi Stampede: क्यों होती है धार्मिक स्थलों पर भगदड़, जानें भारत में कब-कब हुईं तीर्थ स्थलों पर बड़ी दुर्घटनाएं

नई दिल्ली: Vaishno Devi Stampede- जम्मू-कश्मीर स्थित माता वैष्णो देवी भवन में 31 दिसंबर यानी शुक्रवार रात 2.45 पर भगदड़ मच गई. इस दुखद हादसे में 12 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है. जबकि 20 लोग घायल हो गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने पीड़ितों को 10-10 रुपये का ऐलान कर दिया है. पर धार्मिक स्थलों पर ऐसे हादसे क्यों होते हैं और कब-कब ऐसी घटनाएं हुईं? आइये जानते हैं. 

क्यों होती हैं ऐसी भगदड़
विशेषज्ञों की मानें तो भारत के धार्मिक स्‍थलों में भगदड़ होती है क्‍योंकि ज्यादातर जहरों पर किसी प्रकार का प्रबंधन नहीं होता है. राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों का पालन भी नहीं किया जाता है. किसी भी ऐसे स्‍थान पर जहां, भीड़ एकत्रित होने वाली है, वहां पहले मॉक ड्रिल होनी चाहिए. भगदड़ के चार प्रमुख कारण होते हैं. भीड़ की प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसने की कोशिश. दम घुटना या फिर धक्‍का-मुक्‍की. किसी आपदा के चलते डर की स्थिति बन जाना और अफवाह की वजह से लोगों का डर के मारे भागना.

हादसों के कारण
1. संरचनात्मक 
बाधाएं, बैरिकेड्स, रास्ते, संकीर्ण प्रवेश-निकास बिंदु, आपातकालीन निकास की अनुपस्थिति.

2. आग और बिजली 
बिजली की विफलता अचानक घबराहट पैदा करना, अस्थायी सुविधाओं में खाना बनाना, लकड़ी के ढांचे में आग लगना, दोषपूर्ण वायरिंग.

3. भीड़ नियंत्रण 
भीड़, कर्मचारियों या सेवाओं का कम आंकना, प्रवेश द्वारों का अचानक खुलना, खराब यातायात नियमन, अच्छी सार्वजनिक प्रणाली की कमी.

4. भीड़ का व्यवहार 
बाहर निकलने के लिए जबरदस्ती रास्ता निकालना, धार्मिक नेता प्रभारी अधिकारियों द्वारा निर्धारित मार्ग के अलावा अन्य मार्ग अपनाना, देरी पर गुस्सा, ट्रेन के शेड्यूल में अंतिम समय में बदलाव आदि.

5. सुरक्षा 
योजना की कमी, भीड़ नियंत्रण कर्मियों को वॉकी-टॉकी जैसे उपकरणों की अपर्याप्त आपूर्ति, भीड़ नियंत्रण कर्मियों की कमी.

6. हितधारकों के बीच समन्वय का अभाव 
विभिन्न सरकारी विभागों जैसे पुलिस, जिला प्रशासन, अग्निशमन सेवाओं, चिकित्सा अधिकारियों, कार्यक्रम आयोजकों, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी, संचार में देरी के बीच समन्वय की कमी.

भारत में धार्मिक स्थलों पर भगदड़ का इतिहास

14 जुलाई 2015
दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में एक पवित्र नदी के तट पर भगदड़ में कम से कम 27 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई है.

25 अगस्त 2014 
मध्य प्रदेश के सतना जिले में चित्रकूट के कामतनाथ मंदिर में भगदड़ मच गई. 10 लोगों की मौत और करीब 60 लोग घायल हुए थे.

25 सितंबर 2012
झारखण्ड के देवघर में ठाकुर अनुकूल चंद की 125वीं जयंती पर एक आश्रम परिसर में हजारों की भीड़ एकत्र हो जाने और सभागार में भारी भीड़ के कारण दम घुटने से बारह लोगों की मौत हो गई, जबकि 120 अन्य बेहोश हो गए.

आठ नवम्बर, 2011
उत्तर प्रदेश के हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर हजारों श्रद्धालुओं के एकत्र हो जाने के दौरान मची भगदड़ में 16 लोगों की जान चली गई.

14 जनवरी, 2011 
केरल के इदुक्की में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल शबरीमाला के नजदीक पुलमेदु में मची भगदड़ में 102 श्रद्धालु मारे गए थे और 50 घायल हो गए थे.

चार मार्च, 2010 
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कृपालुजी महाराज आश्रम में प्रसाद वितरण के दौरान 63 लोग मारे गए थे.

30 सितम्बर 2008 
राजस्थान के जोधपुर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाह से मची भगदड़ में 250 श्रद्धालुओं की मौत हो गई.

तीन अगस्त, 2008 
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण नैना देवी मंदिर की एक दीवार ढह गई. इसमें 160 लोगों की मौत हो गई.

26 जून, 2005 
महाराष्ट्र के मंधार देवी मंदिर में मची भगदड़ में 350 लोगों की मौत हो गई थी.

अगस्त 2003 
महाराष्ट्र के नासिक में कुम्भ मेले में मची भगदड़ में 125 लोगों की जान चली गई थी.

1986
 हरिद्वार में एक धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ में 50 लोगों की मौत हो गई.

1954 

इलाहाबाद में कुंभ मेले के दौरान भगदड़ से लगभग 800 लोगों की जानें गईं.

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