लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सख्त हो गया है. एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह को नोटिस जारी करके प्रदर्शन के दौरान हिंसा और मौत पर चार हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है. हिंसा और मौत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के वकीलों का एक समूह एनएचआरसी पहुंचा था.
यूपी पुलिस से मांगा जवाब
यूपी डीजीपी ने दावा किया था कि पुलिस की तरफ से कोई गोली नहीं चलाई गई है. उन्होंने कहा था कि अब तक जिन लोगों की मौत हुई है, वे क्रॉस फायरिंग में मारे गए हैं. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में स्थिति साफ हो जाएगी. हम इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट हैं और यदि हमारी गोलीबारी के कारण किसी की भी मृत्यु हुई तो हम न्यायिक जांच कवाएंगे और कार्रवाई करेंगे.
15 लोगों की हुई थी मौत
नागरिकता कानून पर उत्तरप्रदेश में हुई हिंसा में 15 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. इसके कारण प्रदेश में इटंरनेट भी बदं करना पड़ा था. मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनकारियों पर सख्ती करने के आदेश दिए. साथ ही सीएम योगी ने ऐसे लोगों की पहचान कर उनकी सम्पत्ति की कुर्की का फैसला भी लिया है. कुर्की से प्राप्त धनराशि से इन नुकसानों की भरपाई की जायेगी. इस योगी फार्मूला पर काम शुरू होते ही प्रदर्शनकारियों और उनके द्वारा की जाने वाली हिंसा में कमी दिखाई दी थी.
दंगाइयों पर रासुका लगाने की तैयारी में योगी सरकार
यूपी सरकार ने हिंसा के दौरान संपत्ति को हुए नुकसान के आकलन के लिए चार सदस्यीय कमिटी बनाई है. लखनऊ में हुई हिंसा में शामिल 250 उपद्रवियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाने की तैयारी है. 13 हजार से ज्यादा संदिग्ध सोशल मीडिया अकाउंट की पहचान की गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि यूपी में हुई हिंसा से हुए नुकसान की भरपाई उपद्रवियों की संपत्ति जब्त कर की जाएगी.
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