गणतंत्र दिवस विशेष: पश्चिम ने नहीं भारत ने दी जनता के शासन की अवधारणा

आज दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो खुद को दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश बताते हैं और पूरे गर्व के साथ ये दावा करते हैं कि विश्व को लोकतांत्रिक प्रणाली उन्होंने सिखाई. आज हम आपको बताते हैं कि किस प्रकार भारत ने पूरे विश्व को लोकतांत्रिक शासन पद्धति की शिक्षा दी थी जिसे आगे चलकर पूरी दुनिया ने स्वीकार किया. 

Written by - Adarsh Dixit | Last Updated : Jan 26, 2020, 12:32 PM IST
    • वैशाली दुनिया का सबसे पुराना गणराज्य
    • अमेरिका ने भी वैशाली गणराज्य से सीखा राष्ट्रपति चुनने का तरीका
    • वैशाली में गणतंत्र की स्थापना
    • रामायणकाल से मिलते हैं वैशाली के प्रमाण
    • ब्रिटेन में 1215 में आया था मैग्नाकार्टा
गणतंत्र दिवस विशेष: पश्चिम ने नहीं भारत ने दी जनता के शासन की अवधारणा

दिल्ली: भारत को पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश माना जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस लोकतंत्र की बात आज चारों तरफ सुनाई दे रही है उसकी असली अवधारणा कहां से आई. ब्रिटेन और अमेरिका अक्सर इस बात का दम भरते रहते हैं कि उन्होंने दुनिया को लोकतंत्र का ज्ञान कराया लेकिन सच्चाई ये है कि जब इन देशों के अस्तित्व की जानकारी भी किसी दूसरे देश को नहीं थी तब भारत में गणतांत्रिक शासन पद्धति की स्थापना हो चुकी थी.

वैशाली दुनिया का सबसे पुराना गणराज्य

करीब 2700 साल पहले विश्व के सबसे पहले गणराज्यों में से एक गणराज्य वैशाली में मौजूद था. बिहार की राजधानी पटना से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर वैशाली स्थित है. यह भगवान बुद्ध के अवतरण के पहले से ही लिच्छवियों  की राजधानी थी जिसे दुनिया के प्राचीनतम गणराज्य होने का गौरव प्राप्त है. इस गणराज्य का काल खंड सात से छह शताब्दी ईसा पूर्व का है. वैशाली के बसाढ़ में राजा विशाल के गढ़ के अवशेष हैं. यह लगभग 480 मीटर लंबा और 230 मीटर चौड़ा है. इसे उस समय के संसद का अवशेष माना जाता है जहां करीब सात हजार प्रतिनिधि बैठकर कानून बनाते थे और लोगों की समस्याएं सुनते थे. इस प्रकार हम पूरे गौरव के साथ ये कह सकते हैं कि विश्व को गणतांत्रिक मूल्यों का आधुनिक ज्ञान आज से 2700 साल पहले ही भारत ने दे दिया था.

अमेरिका ने भी वैशाली गणराज्य से सीखा राष्ट्रपति चुनने का तरीका

हम अक्सर देखते हैं कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में उम्मीदवारों के बीच किसी समसामयिक विषय पर परस्पर बहस होती है और अमेरिका में चुनाव की इस पद्धति का दुनिया में बहुत सम्मान होता है और लगभग सभी देशों में लोग बड़ी उत्सुकता के साथ इसे सुनते हैं. ठीक इसी तरह अपने गणनायक को चुनने के लिये वैशाली गणराज्य में भी बहस होती थी और उसके आधार पर लोग अपने गणनायक को चुनते थे. कई इतिहासकारों का ये भी मानना है कि अमेरिका में जब लोकतंत्र का ताना-बाना बुना जा रहा था और राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया पर विमर्श चल रहा था, तब वहां के पॉलिसी-मेकर्स के दिमाग में वैशाली के गणतंत्र का मॉड्यूल चल रहा था.

वैशाली में गणतंत्र की स्थापना

आपको बता दें कि  वैशाली नगर वज्जि महाजनपद की राजधानी थी. महाजनपद का मतलब प्राचीन भारत के शक्तिशाली राज्यों में से एक होता था. वैशाली में गणतंत्र की स्थापना लिच्छवियों ने की थी. लिच्छवियों का संबंध एक हिमालयन जनजाति लिच्छ से था. वैशाली गणराज्य को लिच्छवियों ने खड़ा किया था और ये इसलिए किया गया था ताकि बाहरी आक्रमणकारियों से बचा जा सके और अगर कोई बाहर से आक्रमण करे तो गणराज्य को जनता का पूरा समर्थन हासिल हो. कालांतर में वैशाली एक शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा. इस प्रकार एक नई शासन प्रणाली की शुरुआत हुई, जिसे हम गणतंत्र कहते हैं. इसे दुनिया के ज्यादातर देशों ने अपनाया है और मॉडर्न ग्लोबल वर्ल्ड का बेस्ट सिस्टम माना गया. आज यूरोप का कोई देश हो या फिर अमेरिका, सब इसी सिस्टम को मानते हैं जिसकी शुरुआत आज से 2600 साल पहले भारत के वैशाली में हुई थी.

रामायणकाल से मिलते हैं वैशाली के प्रमाण

वैशाली राज्य के प्रमाण और इसके इतिहास की जानकारी रामायण जैसे ऐतिहासिक ग्रंथों से भी मिलती है. रामायण के मुताबिक  भागवान राम के पूर्वज और रघुकुल के पराक्रमी राजा इक्ष्वाकु के पुत्र विशाल ने अपने नाम पर विशाल नामक एक नगर बसाया था जो बाद में वैशाली के नाम से प्रसिद्ध हुआ. विशाल राजा के बाद इस पर हेमचंद्र, शुचंद्र, धूमाश्व, सृंजय, कुशाश्व, सोमदत्त, काकुष्ठ एवं सुमति नामक राजाओं का शासन रहा. ऋग्वेद और अथर्ववेद में भी इस गणराज्य की चर्चा हुई है.

ब्रिटेन में 1215 में आया था मैग्नाकार्टा

माना जाता है कि ब्रिटेन में लोकतंत्र का विकास मैग्नाकार्टा आने के बाद शुरू हुआ था. मैग्नाकार्टा ब्रिटेन में जिन परिस्थितियों में अस्तित्व में आया वो भी काफी दिलचस्प है. किंग जॉन अपने कार्यकाल के दौरान राजा के अधिकारों का इतना दुरुपयोग कर रहे थे कि वहां सामंत से लेकर पोप तक सभी उनसे बेहाल हो गए थे. किंग जॉन को 1199 ईसवी में ब्रिटेन की सत्ता मिली थी. इसके तीन-चार साल बाद ब्रिटेन और फ्रांस के बीच लड़ाई छिड़ गई. इससे देश की आर्थिक दशा बिगड़ने लगी जिसकी वजह से किंग जॉन ने करों में भारी वृद्धि कर दी. इसके बाद सामंतों ने ये तय कि नियमों और कानूनों का ऐसा संग्रह तैयार किया जाए जिसके आधार पर राजा, सामंत, पोप और प्रतिनिधियों के अधिकारों की सीमाएं तय की जा सकें. इसे ही ब्रिटेन का तत्कालीन संविधान (मैग्नाकार्टा) माना गया और इसके बाद से ही वहां लोकतंत्र का विकास शुरू हुआ.

लेकिन भारत का वैशाली गणराज्य मैग्नाकार्टा आने के सैकड़ों साल पहले ही गणतांत्रिक और संवैधानिक शासन प्रणाली की खोज कर चुका था.

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