मुंबई: कहते हैं कि राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है. राजनीति में न कोई स्थाई मित्र होता है और ना ही स्थाई शत्रु. ये बात महाराष्ट्र में सटीक नजर आ रही है. पिछले दिनों वर्षों पुराने साथी को छोड़कर कांग्रेस और NCP के साथ सरकार बनाने वाली शिवसेना अब असहज महसूस कर रही है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का मन इस कदर बदल रहा है कि उन्होंने महाराष्ट्र के विकास के लिये देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी को पूरा श्रेय दे दिया और उनकी खूब तारीफ भी की. इससे ये कयास लगने तेज हो गये हैं कि क्या उद्धव ठाकरे का मन अभी से बदलने लगा है.
जमकर की फडणवीस-गडकरी की तारीफ
एक कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और वरिष्ठ भाजपा नेता नितिन गडकरी की राज्य का विकास करने के लिए जमकर तारीफ की. उद्धव ठाकरे ने कहा, 'हम सरकार का हिस्सा थे. हम भले ही एक ट्रेन में नहीं थे लेकिन आज हम एक ही स्टेशन पर आ खड़े हुए हैं. राजनीति में जब किसी काम के श्रेय की बात आती है तो एक नेता तब तक नेता नहीं होता जब तक वह श्रेय न ले लेकिन मैं नम्रता से कहना चाहता हूं कि हमें श्रेय नहीं, लोगों का आशीर्वाद चाहिए.
बाल ठाकरे का सपना गडकरी ने किया पूरा
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि वर्ली बांद्रा सी-लिंक का पूर्ण निर्माण करने का सपना बाल ठाकरे ने देखा था जिसे नितिन भाई ने पूरा किया. इसका पूरा श्रेय उन्हें ही मिलना चाहिये.
कांग्रेस से कई विषयों पर मतभेद
गौरतलब है कि शिवसेना ने बीजेपी से अलग राह पकड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बना ली थी. हालांकि, कई मुद्दों पर शिवसेना का दोनों पार्टियों से अलग विचारधारा होने के कारण टकराव देखने को मिलता है. सावरकर के मुद्दे पर शिवसेना और कांग्रेस में मतभेद सार्वजनिक हैं. जब राहुल गांधी ने वीर सावरकर के लिये अपशब्दों का प्रयोग किया था तो शिवसेना ने कहा था कि वे सावरकर कभी नहीं बन सकते.
नागरिकता कानून- NRC पर भारी मतभेद
शिवसेना और कांग्रेस में नागरिकता कानून- NRC पर जमकर मतभेद हैं. हाल ही में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि सरकार सभी पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर निकाले. जबकि कांग्रेस घुसपैठियों को बाहर निकालने वाली प्रक्रिया NRC का लगातार विरोध कर रही है. नागरिकता संशोधन कानून का शिवसेना ने लोकसभा में तो समर्थन किया था लेकिन उसने राज्यसभा में वोटिंग के समय वॉकआउट कर दिया था.
ये भी पढ़ें- केरल सरकार के अनुरोध पर CAA समर्थक राज्यपाल ने इसके विरोध में पढ़ा प्रस्ताव