What is Mock Drill: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले से देश के लोगों में आक्रोश है. पाकिस्तान की इस कायराना हरकत के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है. दोनों देश युद्ध के मुहाने पर आ खड़े हुए हैं. ऐसे में भारत की सेना और सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है. साथ ही गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 7 मई, 2025 को पब्लिक प्लेस में मॉक ड्रिलिंग करने के आदेश दिए हैं. चलिए, जानते हैं कि क्या होता है मॉक ड्रिलिंग और किस प्रकार युद्ध अभ्यास में मदद करती है?
क्या होता है मॉक ड्रिल? (What is Mock Drill)
मॉक ड्रिलिंग एक प्री-प्लान्ड प्रैक्टिस है, जिसमें खतरे या इमरजेंसी की स्थिति से बचने के लिए प्रैक्टिस की जाती है. इस प्रैक्टिस को करने पर यह आकलन किया जाता है कि लड़ाई, हमले या युद्ध के समय लोग कैसी प्रतिक्रिया देंगे और उन्हें किस प्रकार बचाया जा सकता है. कई बार तो बिल्कुल असल जैसी स्थिति बनाई जाती है, जैसे- आग लगाना, आतंकी हमला या भूकंप जैसी स्थितियां पैदा करना. लोगों को उस स्थिति में सुरक्षित बचाने से लेकर राहत कार्यों को अंजाम देने की पूरी प्रैक्टिस की जाती है.
क्यों जरूरी है मॉक ड्रिलिंग?
दोनों देशों के बीच बन रहे युद्ध के आसार ये बता रहे हैं कि किसी भी समय आपात स्थिति सामने आ सकती है. इसके लिए पहले से ही सतर्क रहना बहुत जरूरी है. मॉक ड्रिलिंग से कुछ खास बातों के बारे में पता चलता है, जिससे युद्ध की स्थिति में बेहतर प्रदर्शन करके लोगों को बचाया जा सकता है. जैसे मौजूद सेफ्टी इक्विपमेंट ठीक है या नहीं और किन चीजों में सुधार की जरूरत है. सुरक्षाकर्मी और बचाव टीम किस प्रकार या किस सामर्थ्य के साथ लोगों की जान बचा सकती है.
कैसे की जाती है मॉक ड्रिलिंग?
इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए पहले तय समय पर सायरन बजाया जाता है या फिर लोगों को चेतावनी दी जाती है. बताया जाता है कि आग लगी है, बम की सूचना है या फिर भूकंप आया है. उसके बाद फायर ब्रिगेड, NDRF, पुलिस और मेडिकल टीमें मौके पर पहुंचती हैं, सभी को जल्दी और सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला जाता है. इस पूरी प्रक्रिया से अंदाजा लगाया जाता है कि कितना समय लगा और क्या कमियां या गलतियां रहीं, जिन्हें भविष्य में बेहतर किया जा सकता है.
पूरी प्रक्रिया को उदाहरण से समझते हैं
आमतौर पर स्कूलों में भी मॉक ड्रिल होती है. स्कूल में मॉक ड्रिलिंग की जाती है तो पहले अलार्म बजता है, जिसे सुनकर बच्चे तुरंत डेस्क के नीचे छिप जाते हैं. फिर उन्हें इस प्रक्रिया के जरिए सुरक्षित बाहर निकाला जाता है. इसी तरह ऑफिस में कर्मचारियों को इमरजेंसी एग्जिट से बाहर निकालने की प्रैक्टिस की जाती है. पब्लिक प्लेस जैसे- स्टेशन या मॉल पर आतंकी हमला होता है तो फायरिंग की सूचना लोगों को दी जाती है, फिर आतंकियों को पकड़ने और लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की प्रैक्टिस की जाती है.
देश में कब की गई थी मॉक ड्रिलिंग?
भारत में इससे पहले 'भारत-पाकिस्तान के 1971 के युद्ध' के समय मॉक ड्रिलिंग की गई थी. अब 54 साल बाद फिर पाकिस्तान के साथ बने युद्ध जैसे हालातों को मद्देनजर रखते हुए सरकार ने मॉक ड्रिलिंग के आदेश दिए गए हैं.