विभाजन के दौर की भूली-बिसरी कहानी, जब हिंदू ने लिखा था पाकिस्तान का पहला राष्ट्रगान

Jagan Nath Azad: 14 अगस्त की मध्यरात्रि को जब पाकिस्तान को आजादी मिली थी, सबसे पहला राष्ट्रगान जगन्नाथ आजाद नामक एक हिंदू कवि ने लिखा था.  पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने राष्ट्र के प्रथम गान को तैयार करने के लिए कवियों का एक समूह बनाया था. उनमें आजाद का नाम था.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Apr 10, 2025, 04:26 PM IST
विभाजन के दौर की भूली-बिसरी कहानी, जब हिंदू ने लिखा था पाकिस्तान का पहला राष्ट्रगान

Forgotten Story of Partition Era: कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जो भुला दी जाती है या पीछे रह जाती हैं. भारत-पाक विभाजन के दौर की भी अनेकों कहानियां हैं. जिसमें में से एक पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रकाश डाला. 8-9 अप्रैल को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित एक भारत शिखर सम्मेलन में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सिंह ने एक कम चर्चित ऐतिहासिक तथ्य के बारे में बताया.

उन्होंने कहा, 'और एक और तथ्य, जिसके बारे में ज्यादा चर्चा नहीं होती, वह यह है कि 14 अगस्त की मध्यरात्रि को जब पाकिस्तान को आजादी मिली थी, सबसे पहला राष्ट्रगान जगन्नाथ आजाद नामक एक हिंदू कवि ने लिखा था.'

सिंह ने विस्तार से बताया कि पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने राष्ट्र के प्रथम गान को तैयार करने के लिए कवियों का एक समूह बनाया था. उनमें आजाद का नाम देखकर जिन्ना ने कहा, 'देखिए, इसे बनाते हैं, इससे संदेश जाएगा.'

आजाद की रचना 'सर जमीन-ए पाकिस्तान' से शुरू हुई, जो मातृभूमि को समर्पित थी. डॉ. सिंह ने कहा, 'और फिर, बेशक, बाद में, इसमें बदलाव किया गया. फिर हाफिज जालंधरी ने लिखा, जो आज कल है.'

कौन थे पाक का पहले राष्ट्रगान लिखने वाले जगन्नाथ आजाद?
जगन्नाथ आजाद का जन्म 1918 में पंजाब के ईसा खेल में हुआ था. वह एक प्रमुख उर्दू कवि और अल्लामा इकबाल की रचनाओं के विद्वान थे. अगस्त 1947 में जिन्ना ने आजाद को राष्ट्रगान लिखने के लिए आमंत्रित किया, जिसका उद्देश्य नए राष्ट्र में समावेशिता को बढ़ावा देना था.

आजाद ने पांच दिनों के भीतर राष्ट्रगान पूरा कर लिया और इसे तुरंत मंजूरी मिल गई और रेडियो पाकिस्तान पर प्रसारित किया गया.

हालांकि, कुछ इतिहासकार इस कथन पर सवाल उठाते हैं. डॉन अखबार में 2011 के एक लेख में बताया गया कि आजाद ने राष्ट्रगान लिखा या नहीं इसपर कोई ठोस सबूत नहीं है. कहा गया कि आधिकारिक रिकॉर्ड स्वतंत्रता समारोह के दौरान राष्ट्रगान के प्रसारण का दस्तावेजीकरण नहीं करते हैं.

अकील अब्बास जाफरी सहित कई पाकिस्तानी शोधकर्ताओं ने अपनी पुस्तक 'पाकिस्तान का कौमी तराना: क्या है हकीकत, क्या है फसाना' में आजाद के साक्षात्कारों में असंगतियों की कमी के आधार पर इस दावे को चुनौती दी.

सिंह ने विभाजन के दौरान आजाद के व्यक्तिगत अनुभवों को भी याद किया. उन्होंने कहा, 'उन्हें यह बताने में बहुत मजा आता था कि जब मेरा राष्ट्रगान रचा जा रहा था, उसी समय, वे वहां से भाग रहे थे.' सिंह ने आजाद को लेकर बताया. आजाद कहते थे, 'मेरे कुछ मुस्लिम पड़ोसी वहां आए और कहा, 'सर, आपका राष्ट्रगान बज रहा है, यह बहुत सम्मान की बात है लेकिन हमें डर है कि यहां चल रहे दंगों के कारण, आपको कुछ हो सकता है, और हम आपकी रक्षा नहीं कर पाएंगे.'

बता दें कि आजाद अल्लामा इकबाल के एक प्रसिद्ध थे और विभाजन के बाद भी उन्होंने अकादमिक कार्यों के लिए उपमहाद्वीप में लिखना और यात्रा करना जारी रखा.

जैसा कि सिंह ने बताया, यह जिन्ना के समावेशी पाकिस्तान के शुरुआती दृष्टिकोण को भी दर्शाता है, भले ही बाद के वर्षों में उस दृष्टिकोण ने अधिक रूढ़िवादी प्रभावों को रास्ता दे दिया हो.

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