कश्मीर में बिजली से कब चलेगी ट्रेन? 370 के बाद विकास ने पकड़ी रफ्तार

2019 में अनुच्छेद 370 हटा और उसके बाद कश्मीर में विकास ने ऐसी रफ्तार पकड़ी. जिसके बारे में लोगों ने कल्पना नहीं की थी. आपको ऐसी ही एक कहानी के बारे में जानना चाहिए, जो बिजली वाली ट्रेन की है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 5, 2021, 08:15 AM IST
  • 5 अगस्त को J&K से हुआ था अनुच्छेद 370 का खात्मा
  • 2 सालों में क्या-क्या हुए बदलाव कितना बदला जम्मू-कश्मीर?
कश्मीर में बिजली से कब चलेगी ट्रेन? 370 के बाद विकास ने पकड़ी रफ्तार

नई दिल्ली: आज 5 अगस्त है और अनुच्छेद 370 से जम्मू-कश्मीर की आज़ादी के दो साल पूरे हो गए हैं. आज का दिन ना सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लिए बल्कि पूरे देश के लिए बहुत बड़ा दिन है. 370 हटने के बाद 2 सालों में क्या बदलाव हुए, कश्मीर कितना बदला?

कश्मीर में बिजली से कब चलेगी ट्रेन?

कश्मीर में बिजली से ट्रेन चलाने की तैयारी जोरों पर है. 130 किलोमीटर लंबे बनिहाल-बारामूला रेलवे ट्रैक पर इलेक्ट्रिफिकेशन का काम 70 प्रतिशत पूरा हो चुका है. रेलवे ट्रैक पर 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन के बाद ही यहां बिजली से ट्रेन चलाई जा सकती है, सरकार ने ये काम पूरा करने के लिए मार्च 2022 की समय सीमा तय की है.

ज़ी मीडिया के संवाददाता खालिद हुसैन ने ग्राउंड रिपोर्ट में जो जानकारी सामने लाई उसमें पता चला कि बारामूला के पटन इलाके में इलेक्ट्रिफिकेशन का काम हो रहा है. मतलब साफ है कि अब कश्मीर में डीजल पर नहीं बिजली से ट्रेन चलेगी. जानकारी ये भी है कि खुद प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) इस प्रोजेक्ट की निगरानी कर रहा है.

J&K में रेल प्रोजेक्ट से 5 बड़े लाभ

इस रेल प्रोजेक्ट से 5 बड़े लाभ हैं. पहला- कश्मीर में पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा, क्योंकि डीजल से ट्रेन चलाने से प्रदूषण फैलता है, दूसरा- लागत कम होगी, रेल प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक डीजल की तुलना में इलेक्ट्रिफिकेशन 40 प्रतिशत किफायती होगा. तीसरा लाभ- ट्रेन की रफ्तार बढ़ सकती है. चौथा लाभ- किराया कम हो सकता है और पांचवां लाभ- हर मौसम में ट्रैवल कनेक्टिविटी यानी यातायात संपर्क की सुविधा होगी.

इरकॉन के एडिश्नल जनरल मैनेजर आबिद अमीन शाह ने Zee मीडिया से बताया है कि 'अभी आप देख सकते हैं कि जैसे हमारा रोड है, उसमें कभी 5 दिन 6 दिन लैंडस्लाइड होते रहते हैं, रास्ता बंद रह जाता है, लेकिन यह जो ट्रेन का सिस्टम है. इसमें हमें ऑल वेदर कनेक्टिविटी मिलेगी तो काफी फायदा इससे होगा. ट्रांसपोर्टेशन अच्छे से होगा, ट्रक माल गाड़ी वगैरह कई दिनों तक फंसी रहती हैं हाईवे पर, लेकिन यह जो हमारा ट्रेन का सफर होगा इसमें कोई कभी गाड़ी नहीं पाएगी यह हमारा ऑल वेदर रोड बन जाएगा.'

2019 में शुरू हुए थे रेल प्रोजेक्ट

कश्मीर को पहली लोकल ट्रेन सेवा 2013 में मिली थी और अब घाटी को रेल मार्ग के जरिये देश से जोड़ा जा रहा है. 2019 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट के जरिए जम्मू से बारामूला तक 356 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बनाने का लक्ष्य तय किया गया था जिसे तीन चरणों में पूरा होना था. इनमें से दो चरण पूरे हो चुके हैं और आखिरी चरण का कार्य चल रहा है.

बारामूला से बनिहाल का काम चल रहा है. 2 साल में कंप्लीट कर ली जाएगी. इसे तीन चरणों में विभाजित किया गया था, जम्मू से कटरा, फिर कटरा से बनिहाल और फिर बनिहाल से बारामूला, जबकि दो चरण जम्मू-कटरा, बनिहाल- बारामूला पर काम पूरा हो चुका है और एक बचा अंतिम चरण बहुत जल्द पूरा होने की उम्मीद है.

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