6125KM की रफ्तार! दुनिया के टॉप 5 देश हाइपरसोनिक लड़ाकू विमान बनाने की रेस में, भारत भी लिस्ट में शामिल?

Hypersonic fighter jets: दुनिया की प्रमुख सैन्य शक्तियां अब हाइपरसोनिक गति यानी आवाज की गति से 5 गुना या Mach 5 से ज़्यादा वाले लड़ाकू विमान और हथियार बनाने की रेस में हैं.

Written by - Prashant Singh | Last Updated : Oct 10, 2025, 06:24 PM IST
  • भारत का HSTDV प्रोजेक्ट बना उम्मीद की किरण
  • अमेरिका-चीन-रूस की टक्कर अब हाइपरस्पीड पर
6125KM की रफ्तार! दुनिया के टॉप 5 देश हाइपरसोनिक लड़ाकू विमान बनाने की रेस में, भारत भी लिस्ट में शामिल?

Hypersonic fighter jets: हवाई युद्ध का भविष्य अब सुपरसोनिक (Mach 1-4) से आगे निकलकर हाइपरसोनिक (Mach 5+) स्पीड पर केंद्रित हो गया है. जो देश इस तकनीक में महारत हासिल करेगा, वह युद्ध के मैदान में लगभग अदृश्य और अजेय हो जाएगा. हाइपरसोनिक फाइटर जेट्स को न तो वर्तमान रडार पकड़ सकते हैं और न ही उन पर हमला कर सकते हैं. यही कारण है कि दुनिया के शीर्ष 5 देश, जिनमें अमेरिका, रूस, और चीन शामिल हैं, अब Mach 5 या उससे अधिक की गति से उड़ने वाले लड़ाकू विमानों और हथियारों को बनाने के लिए खरबों रुपये खर्च कर रहे हैं. भारत भी इस रेस में शामिल है. 

Mach 5 की ताक़त किसे मिलेगी?
हाइपरसोनिक फाइटर जेट्स की यह रेस दुनिया के सैन्य समीकरणों को बदल सकती है. अमेरिका, रूस और चीन इस तकनीक में सबसे आगे हैं, क्योंकि ये विमान हवाई युद्ध के नियमों को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखते हैं. यह दौड़ सिर्फ रफ़्तार की नहीं, बल्कि भविष्य की हवाई श्रेष्ठता की है. भारत भी इस रेस में शामिल है और अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए लगातार बड़े कदम उठा रहा है.

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रेस में सबसे आगे कौन?
दुनिया के तीन प्रमुख देश इस तकनीक में सबसे आगे चल रहे हैं और प्रोटोटाइप पर काम कर रहे हैं.

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)- अमेरिका लंबे समय से हाइपरसोनिक विमानों पर रिसर्च कर रहा है. उनका फोकस SR-72 'सन ऑफ ब्लैकबर्ड' जैसे जासूसी विमानों और जेट्स पर है, जो Mach 6 की रफ़्तार से उड़ सकते हैं. उनका लक्ष्य दुनिया के किसी भी कोने में मिनटों में पहुंच बनाना है.

चीन- चीन इस रेस में सबसे तेजी से आगे बढ़ा है. उसने हाइपरसोनिक हथियारों में अपनी क्षमता साबित की है और अब लड़ाकू प्लेटफॉर्म पर ध्यान दे रहा है. चीन की रणनीति है कि वह इस तकनीक को जल्द से जल्द विकसित करके अमेरिका पर तकनीकी बढ़त हासिल करे.

रूस- रूस ने पहले ही हाइपरसोनिक मिसाइलें तैनात कर दी हैं और अब लड़ाकू विमानों पर काम कर रहा है. रूस का दावा है कि उसके कुछ नए लड़ाकू विमान भविष्य में हाइपरसोनिक मिसाइल दागने में सक्षम होंगे, हालांकि पूर्ण हाइपरसोनिक जेट पर काम जारी है.

अन्य देशों में फ्रांस और यूरोपियन यूनियन भी इस तकनीकी क्षेत्र में रिसर्च कर रहे हैं.

हाइपरसोनिक तकनीक क्यों है गेम चेंजर?
हाइपरसोनिक गति यानी 6125 किमी/घंटा से अधिक किसी भी युद्ध में एक निर्णायक बढ़त देती है. ये विमान इतनी तेजी से उड़ेंगे कि वर्तमान की कोई भी मिसाइल डिफेंस प्रणाली या रडार उन्हें ट्रैक नहीं कर पाएगा.
ये जेट दुश्मन के ठिकानों पर अत्यधिक तेज़ी से पहुँच सकते हैं, हमला कर सकते हैं और दुश्मन के जवाबी हमले से पहले ही सुरक्षित क्षेत्र में लौट सकते हैं.

हाइपरसोनिक रेस में भारत कहां खड़ा है?
भारत ने लड़ाकू जेट पर सीधा काम शुरू नहीं किया है, लेकिन उसकी रणनीति बेहद सोची-समझी है. भारत का पहला फोकस हाइपरसोनिक हथियार वितरण प्रणाली पर है. DRDO ने HSTDV (हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल) का सफल परीक्षण किया है, जिससे यह साबित हुआ है कि भारत Mach 6 की गति पर उड़ने वाली क्रूज मिसाइलें विकसित कर सकता है.

साथ ही, भारत का 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू जेट AMCA भी भविष्य में हाइपरसोनिक हथियारों को लॉन्च करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा. हालांकि, भारत का मुख्य ध्यान अभी AMCA और Tejas Mk-II को पूरा करने पर है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि HSTDV की सफलता भारत को भविष्य में Mach 5+ गति वाले विमानों के लिए ज़रूरी स्क्रमजेट इंजन तकनीक विकसित करने में मदद करेगी.

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